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खबर से आगे: बेंगलुरु दंगे का खौफ़नाक ब्लूप्रिंट, नया वीडियो, नए सबूत

बेंगलुरु दंगे को लेकर अब तक जो बातें समाने आ रही हैं उससे यह पता चलता है कि यह सुनियोजित, प्रायोजित और प्री प्लान्ड था।

Written by: Ajay Kumar
Updated : August 13, 2020 22:08 IST
खबर से आगे: बेंगलुरु दंगे का खौफ़नाक ब्लूप्रिंट, नया वीडियो, नए सबूत
Image Source : INDIA TV खबर से आगे: बेंगलुरु दंगे का खौफ़नाक ब्लूप्रिंट, नया वीडियो, नए सबूत

नई दिल्ली: बेंगलुरु दंगे को लेकर अब तक जो बातें समाने आ रही हैं उससे यह पता चलता है कि यह सुनियोजित, प्रायोजित और प्री प्लान्ड था। इस मामले में  सब इंस्पेक्टर राघवेंद्र की तरफ से कराई गई एफआईआर के मुताबिक दंगाई बोल रहे थे कि हम पुलिस स्टेशन में सबको मारने और जलाने आए हैं। अब सवाल ये उठता है कि हिंसा के दौरान आगजनी करने वालों ने पुलिसकर्मी से ऐसा क्यों कहा...। क्या राजनीति या राजनीतिक महत्वकांक्षा ने बेंगलुरु हिंसा कराई?

फेसबुक पोस्ट कर भीड़ जुटानेवाले शख्स की तलाश 

इस मामले में पुलिस मुदस्सिर अहमद नाम के एक आरोपी को भी तलाश कर रही है। मुदस्सिर अहमद नाम के इस युवक ने फेसबुक के जरिए पोस्ट करके मुस्लिमों को डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पर जमा होने को कहा। मुदस्सिर अहमद ने लिखा कि कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भांजे ने हमारे नबी की शान में गुस्ताखी की है। पुलिस ने इस मामले में SDPI के दो नेताओं समेत करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ऐसे सभी लोगों भी तलाश कर रही है कि जिन्होंने नवीन का कमेंट वायरल किया और फिर सोशल मीडिया के जरिए लोगों को भड़काया।जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक ये आग 5 अगस्त से ही सुलगायी जा रही थी। सोशल मीडिया पोस्ट तो सिर्फ बहाना बनी। सिर्फ एक पोस्ट पर इतने बड़े पैमाने पर दंगा संभव नहीं था। लोग जुटाए गए,जगहें तय की गयीं और एक खास गिरोह ने साज़िश को अंजाम दिया। 

दंगे का पहला सबूत: सीसीटीवी फूटेज
इसका पहला सबूत है नया सीसीटीवी फूटेज जो 11 अगस्त की रात का है। इस फूटेज में एक स्कूटर सवार 2 लोगों के साथ सड़क पर बात कर रहा है। इस दौरान कुछ दंगाई पास से गुजरते भी हैं तभी स्कूटर पर बैठा शख्स दंगे में शामिल 2 लड़कों को एक बंडल देता हुआ दिख रहा है। पुलिस को शक है कि या तो ये रुपयों का बंडल हो सकता है या फिर नशे का पैकेट। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस हिंसा में पुलिस की गोली से मारे गए 3 में से एक युवक की जेब से भी गांजा मिला था। ऐसे में पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है। सवाल है कि कहीं लोगों के उन्माद को बढ़ाने के लिए नशा तो नहीं बांटा गया ।

पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि कहीं कुछ लोगों को नशीले पदार्थ का लालच देकर इस दंगे को तो नहीं करवाया गया। इस केस के पीछे ड्रग्स और नशे का एंगल इसलिए भी हो सकता है, क्योंकि जिन दो इलाकों डीजे हल्ली और केजी हल्ली में दंगा भड़का उन इलाकों में पहले से ही नशे का बहुत बड़ा गढ़ है।

दंगे के प्री प्लांड होने का दूसरा सबसे बड़ा सबूत 
दंगे के प्री प्लांड होने का दूसरा सबसे बड़ा सबूत है दंगे को लेकर डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर राघवेंद्र की दर्ज कराई एफआईआर। इसमें सब इंस्पेक्टर राघवेंद्र ने साफ साफ ये बात लिखी है कि नवीन के घर के नीचे खड़ी भीड़ के पास धारदार हथियार थे इस भीड़ में से कुछ ने पुलिस की बंदूक को भी छीनने की कोशिश की। साथ में भीड़ में से किसी ने ये भी कहा कि वो पुलिस वालों को खत्म करने के मकसद से आए हैं और अपना काम पूरा होने के बाद ही वापस जाएंगे। 

FIR में लिखे कुछ प्वाइंट को पढ़ने से ये बातें समझ में आएंगी कि दंगाई पुलिसवालों को भी जान से मारने के इरादे से ही आए थे।इससे शक़ उठता है कि ये सिर्फ धार्मिक भावनाओं के आहत होने का मामला नहीं है।

सब इंस्पेक्टर राघवेंद्र की एफआईआर
'मोहम्मद पैगम्बर के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने वाले नवीन के खिलाफ FIR करने के लिए फिरोज पाशा नाम का एक युवक 11 अगस्त की शाम 7 बजकर 45 मिनट पर स्टेशन आया, हमने 295A के तहत केस दर्ज कर लिया। मुझे अधिकारियों से निर्देश मिला कि मैं नवीन की तलाश करूं मैं हेड कॉन्स्टेबल योगानंद के साथ कावल बायर सन्द्रा में नागम्मा ले आउट में मौजूद नवीन के घर 8 बजे तक पहुंच गया। मुझे देखकर आरोपी घर से फरार हो गया, मेरे बाहर आने तक इलाके में सैंकड़ों लोग जमा हो गए। उनके हाथ में धारदार हथियार थे, तलवारें थी, डंडे थे, इन लोगों ने नवीन के घर में तोड़फोड़ की और घर के एक हिस्से में आग लगा दी। नवाज, नासिर और एजाज के साथ कई लोगों ने हिंसा की, मैंने रोकने की कोशिश की मुझे धक्का दिया, कुछ देर में और पुलिसवाले आए हमने शांति की अपील की लेकिन वो नहीं माने और तलवार और डंडों से हम पर हमला कर दिया, हमें जान से मारने की कोशिश की, भीड़ में किसी ने कहा कि "हम तुम लोगों को मार डालेंगे" किसी तरह वहां से 10 बजकर 45 मिनट पर हम स्टेशन पहुंचे यहां भीड़ ने स्टेशन को घर लिया था।

क्या यह राजनीतिक रंजिश का मसला हो सकता है? 
बेंगलुरू में जिन इलाकों में बवाल हुआ वो बहुत ही ज्यादा घनी आबादी वाला इलाका है। इलाके में 75 से 80 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी रहती है। मतलब साफ है वहां 1 घंटे के भीतर सैकड़ों या फिर कहें कि हजारों लोगों को जमा करना कोई मुश्किल काम नहीं है। डीजे हल्ली के साथ-साथ केजी हल्ली पुलिस स्टेशन में भी तीन एफ आई आर दर्ज की गई है इसमें एक FIR में चौंकाने वाली बात सामने आई है यहां पर जो आरोपी नंबर 7 है उसका नाम कलीम है। कलीम....इलाके की कांग्रेस पार्षद इरशाद बेगम के पति हैं। कलीम इससे पहले कांग्रेस के पार्षद रह चुके हैं ऐसे में ये सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या यह राजनीतिक रंजिश का मसला हो सकता है? क्योंकि कांग्रेस के पुलीकेशी नगर के एमएलए अखण्ड श्रीनिवास मूर्ति जिनके घर और दफ्तर को निशाना बनाया गया है वे पहले JDS से जुड़े रहे हैं और इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता है। ऐसे में हो सकता है कि इलाके के दूसरे कांग्रेस नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य अंधकार में लग रहा हो। ये भी जांच का  एक एंगल है।

नुकसान की भरपाई अब यूपी मॉडल की तर्ज पर
बेंगलुरू में मंगलवार की रात को जबरदस्त हंगामा हुआ। तोड़फोड़ हुई, आगजनी हुई, बवाल हुआ और दंगाइयों ने करोड़ों का नुकसान किया। अब कर्नाटक सरकार हिंसा में शामिल लोगों से नुकसान की भरपाई के लिए वसूली करने की योजना बना रही है। कर्नाटक की येदिउरप्पा सरकार के मुताबिक बेंगलरु में हुए दंगे में नुकसान की भरपाई अब यूपी मॉडल की तर्ज पर की जाएगी। फिलहाल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को जांच के आदेश दे दिए गए हैं और सरकार नुकसान का आकलन कर रही है। दंगे के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।सीसीटीवी वीडियो से एक एक चेहरे की पहचान हो रही है । जिसने सरकारी संपत्ति को जितना नुकसाल पहुंचाया है उसने उतने की वसूली होगी। ठीक वैसे ही जैसे सीएए प्रोटेस्ट के दौरान यूपी में योगी सरकार ने किया था।

दंगे की क्रोनोलॉजी

  • 11 अगस्त को शाम 5 बजे  नवीन का फेसबुक पर पोस्ट वायरल हुआ
  • 6 PM :नवीन के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए मुजम्मिल पाशा और दूसरे लोग डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पहुंचे
  • 6.15 PM:डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर भीड़ जमा होनी शुरु हो गई
  • 7.45 PM- पुलिस की टीम नवीन की तलाश में निकली
  • 8 PM- पुलिस की टीम नवीन के घर पहुंची...लेकिन तब तक नवीन के घर के बाहर सौकड़ों की भीड़ जमा हो चुकी थी
  • 8.30 PM:नवीन के घर नहीं मिलने पर पुलिस की टीम वापस लौट आई
  • 9 PM:भीड़ विधायक श्रीनिवास मूर्ति के घर के बाहर जमा होने लगी
  • 9.30 PM:9 बजकर 30 मिनट पर विधायक के घर पर हमला बोल दिया।
  • 9.45 PM- डीजे हल्ली थाने पर तोड़फोड़ शुरु कर दी
  • 10 PM:रात के 10 बजे तक बवाल इतना बढ़ गया था कि उपद्रवी भीड़ ने विधायक के घर में जमकर तोड़फोड़ कर दी। घर और बाहर खड़ीं लगभग 30 से ज्यादा कारों को आग की हवाले कर दिया। विधायक के घर में आग लगा दी गई। थाने को आग के हवाले कर दिया गया। 
  • रात के 12 बजे मौके पर पहुंची पुलिस ने भीड़ को समझाने की कोशिश की। उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिसवालों को जमकर पीटा। हालात बेकाबू होने पर रात 12 बजे के बाद पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी।

बेंगलुरु हिंसा पर पाकिस्तान का बयान
उधर, इमरान खान के जिस इस्लामिक REPUBLIC ऑफ पाकिस्तान में रोटी के बदले धर्म छीना जाता है, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता है, जहां आस्था और श्रद्धा में नफरत का जहर घोलने को ही जम्हूरियत करार दिया जाता हो उस पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसने भारत के साथ इस मुद्दे पर अपना आधिकारिक विरोध दर्ज करवाया है।

पाकिस्तान ने बीजेपी और RSS पर भी साधा निशाना
पाकिस्तान ने इस हिंसा को लेकर बीजेपी और RSS पर भी निशाना साधा है। पाकिस्तान ने कहा- 'भारत में धार्मिक घृणा अपराध की बढ़ती घटनाएं आरएसएस-बीजेपी गठबंधन की कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट ने मुसलमानों को आहत किया है और भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के बढ़ते इस्लामोफोबिया और लक्ष्यीकरण को दर्शाता है। भारतीय पुलिस ने मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ इस घृणित अपराध को रोकने के बजाय, बल प्रयोग किया, कम से कम 3 प्रदर्शनकारियों को मार डाला, और कई और को घायल कर दिया। एक और अन्याय के रूप में, इलाके में मुस्लिम समुदाय को कथित तौर पर बर्बरता और पुलिस कर्मियों पर हमले के लिए झूठा आरोपी ठहराया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र और संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भारत में इस्लामोफोबिया के बढ़ते ज्वार के खिलाफ अपनी भूमिका निभानी चाहिए और भारत में अल्पसंख्यकों के संरक्षण और धार्मिक अधिकारों के लिए व्यावहारिक कदम सुनिश्चित करना चाहिए।'बेंगलुरु दंगे के साक्ष्य साफ साफ बता रहे हैं कि दंगा प्री प्लांड था। पाकिस्तान पहले अपना मुंह तो आईना में देख ले। क्योंकि पाकिस्तान में माइनॉरिटी पर टॉर्चर की मिस्ट्री बहुत पुरानी है।

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