कोलकाता: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिला के सीमावर्ती इलाके में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने एक मां-बेटी को उस वक्त धर दबोचा जब वो दोनों सीमा पार कर बांग्लादेश में घुसने की कोशिश कर रहीं थीं लेकिन उनकी आपबीती सुनने के बाद दोनों मां-बेटी को साउथ बंगाल फ्रंटियर, बीएसएफ ने पड़ोसी देश में सीमा की सुरक्षा करने वाले बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) को सौंप दिया।
दरअसल यह मां अपनी नाबालिग बेटी को वेश्यावृत्ति के दलदल से बचाने के लिए सरहद पार कर गयी थी। बांग्लादेश की यह मां अवैध तरीके से भारत में घुस आयी और बेटी को मानव तस्करों के चंगुल से बचा भी लिया, लेकिन वापस जाते वक्त बीएसएफ के जवानों ने मां-बेटी को धर दबोचा।
बीएसएफ के अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को दोपहर में खुफिया शाखा ने बीएसएफ की 99वीं वाहिनी को सीमा चौकी जीतपुर के इलाके से कुछ लोगों के गैर-कानूनी तरीके से सीमा पार करने की कोशिश की सूचना दी थी।
पूछताछ के दौरान बेटी अलीमा (काल्पनिक नाम) जिसकी उम्र 17 वर्ष है, ने बताया की वह बांग्लादेश की निवासी है। उसकी मर्जी के खिलाफ उसके माता-पिता ने उसकी शादी तय कर दी थी। इसी दौरान उसके गांव के दो लोग कालू और सुहाग ने उसको भारत में ब्यूटी पार्लर में काम दिलाने का वायदा किया। वह शादी से बचने के लिए घर से भागकर कालू के साथ भारत आ गयी।
उसने बताया कि यहां कालू ने उसे मोहम्मद अली नाम के एक भारतीय दलाल को करीब डेढ़ लाख रुपये में बेच दिया। दलाल उसे उत्तर दिनाजपुर के पंजीपाड़ा इलाके में ले आया। इस इलाके में उससे जबरन वेश्यावृत्ति करवाया गया। अलीमा ने बताया कि मिथुन नाम का एक युवक उसके पास आता था। उसने अलीमा की आपबीती सुनी, तो बांग्लादेश में रहने वाली उसकी मां को फोन किया और उसकी दर्द भरी दास्तां बता दी।
पीड़िता की मां समीरा (काल्पनिक नाम) ने बताया की उसकी बेटी 16 जनवरी से लापता थी और इसकी गुमशुदगी की शिकायत बांग्लादेश के पल्लवी मीरपुर थाने में दर्ज करवायी गयी थी। कुछ दिन पहले भारत से मिथुन नाम के एक युवक का फोन आया, जिसने बताया की उसकी बेटी पंजीपाड़ा में है। इसके बाद उसने तुरंत भारत जाकर किसी भी कीमत पर अपनी बेटी को वापस लाने की ठान ली।
समीरा ने कहा कि वह अपनी बेटी को इस दलदल से जल्द से जल्द बाहर निकालना चाहती थी इसलिए कागजी कार्रवाई के पचड़े में पड़ने की बजाय उसे इसी तरह से भारत की सीमा में दाखिल होना सही लगा। उसने पंजीपाड़ा जाकर वहां के गांव प्रधान की मदद से अपनी बेटी को दलालों के चंगुल से मुक्त तो करा लिया, लेकिन वापसी के दौरान बीएसएफ ने उन्हें पकड़ लिया।
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