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पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले बलविंदर सिंह की गोली मारकर हत्या, 1993 में मिला था शौर्य चक्र

पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ चुके एवं शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू की पंजाब के तरन तारन जिले में शुक्रवार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 17, 2020 12:37 IST
पंजाब में आतंकवाद के...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले बलविंदर सिंह संधू की गोली मारकर हत्या 

अमृतसर: पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ चुके एवं शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू की पंजाब के तरन तारन जिले में शुक्रवार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सरकार ने कुछ समय पहले उनकी सुरक्षा वापस ली थी। पुलिस ने बताया कि मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने 62 वर्षीय संधू पर उस समय चार गोलियां चलायीं जब वह जिले में भीखीविंड गांव स्थित अपने घर से लगे दफ्तर में थे। हमलावर हमला करने के बाद मौके से फरार हो गये। संधू को अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

संधू कई साल राज्य में आतंकवाद के खिलाफ लड़े और पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद जब चरम पर था तब उन पर 16 आतंकवादी हमले किये गए। बलविंदर सिंह संधू के भाई रंजीत ने कहा कि राज्य सरकार ने एक वर्ष पहले तरन तारन पुलिस की सिफारिश पर संधू की सुरक्षा वापस ले ली थी। उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार आतंकवादियों के निशाने पर रहा है। बलविंदर सिंह संधू कुछ वृत्तचित्रों में भी आये थे। संधू और उनके परिवार से प्रेरित होकर कई लोगों ने आतंकवादी हमलों से खुद का बचाव किया।

केंद्र सरकार ने 1993 में संधू को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। उन्हें प्रदान किये गए शौर्य चक्र के प्रशस्तिपत्र में कहा गया था, ‘‘बलविंदर सिंह संधू और उनके भाई रणजीत सिंह संधू आतंकवादी गतिविधियों के विरोध में रहे। वे आतंकवादियों के निशाने पर थे। आतंकवादियों ने लगभग 11 महीनों में संधू के परिवार को समाप्त करने के 16 प्रयास किए।’’ इसमें लिखा था, ‘‘आतंकवादियों ने उन पर 10 से 200 के समूह में हमला किया, लेकिन हर बार संधू भाइयों ने अपनी बहादुर पत्नियों जगदीश कौर संधू और बलराज कौर संधू की मदद से आतंकवादियों के प्रयासों को सफलतापूर्वक विफल किया।’’

आतंकवादियों ने पहली बार परिवार पर 31 जनवरी 1990 को हमला किया था। परिवार पर भीषण हमला 30 सितम्बर 1990 को किया गया था जब करीब 200 आतंकवादियों ने उनके घर को चारों ओर से घेर लिया और उन पर करीब पांच घंटे खतरनाक हथियारों से हमला किया। इन हथियारों में रॉकेट लांचर भी शामिल थे। प्रशस्तिपत्र में लिखा था कि आतंकवादियों के इस सुनियोजित हमले में मकान तक आने वाले रास्ते को बाधित कर दिया गया था और बारूदी सुरंग बिछा दी गई थी ताकि पुलिस की कोई मदद उन तक न पहुंच सके। 

इसमें कहा गया था कि संधू भाइयों और उनकी पत्नियों ने आतंकवादियों का पिस्तौल और स्टेनगन से मुकाबला किया जो उन्हें सरकार द्वारा मुहैया कराई गई थी। संधू भाइयों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा दिखाए गए प्रतिरोध ने आतंकवादियों को पीछे हटने के लिए मजबूर किया। प्रशस्तिपत्र में कहा गया था कि इन सभी व्यक्तियों ने आतंकवादियों के हमले का सामना करने और बार-बार किए गए जानलेवा हमलों को विफल करने के लिए अत्यंत साहस एवं बहादुरी का प्रदर्शन किया है। 

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