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बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाने की तैयारियां अंतिम दौर में, 15 मई को भगवान देंगे दर्शन

मंदिरों के कपाट सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद कर दिए जाते है और अप्रैल-मई में फिर से खोले जाते है।

Edited by: India TV News Desk
Updated on: May 01, 2020 15:21 IST
Badrinath Temple reopining to may 15 2020- India TV Hindi
Badrinath Temple reopining to may 15

देहरादून। उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध चारधामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट नए मुहूर्त पर 15 मई को खोले जाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। पहले 30 अप्रैल को बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले जाने थे लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के कारण कपाट खोले जाने की तिथि 15 दिन आगे बढ़ा दी गई थी और 15 मई को तड़के साढ़े चार बजे कपाट खोलने का नया मुहूर्त निकाला गया था।

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि बद्रीनाथ के कपाट खुलने की व्यवस्थाओं में कर्मचारी जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर से बर्फ हटाई जा चुकी है। मंदिर पर रंग-रोगन का काम भी अंतिम चरण में है। पानी, बिजली ब्यवस्था बहाल की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि व्यवस्थाओं की तैयारियों में जुटे कर्मचारियों के लिए सामाजिक दूरी का विशेष ध्यान रखे जाने के अलावा मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है।

इस बीच, केरल से ऋषिकेश पहुंचने के बाद 14 दिन तक पृथक रहने की अवधि गुजार रहे बद्रीनाथ धाम के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी स्वस्थ चल रहे हैं। गौड ने बताया कि ऋषिकेश में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से उनकी पहली कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है, जबकि चार मई को कोरोना वायरस संक्रमण के लिए उनकी दूसरी जांच भी कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी से बचाव के तहत जारी सरकारी परामर्श के अनुसार फिलहाल धार्मिक स्थलों में तीर्थयात्रियों को आने की अनुमति नहीं है और इसलिए बद्रीनाथ धाम में भी कपाट खुलने के दौरान सीमित संख्या में लोग मौजूद रहेंगे।

चारधामों में से अन्य तीनों धामों के कपाट पहले ही खुल चुके हैं । अक्षय तृतीया के पर्व पर 26 अप्रैल को उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुले थे, जबकि 29 अप्रैल को रूद्रप्रयाग में केदारनाथ धाम के कपाट भी खोल दिए गए। गढ़वाल हिमालय के चारधाम के नाम से प्रसिद्ध इन मंदिरों के कपाट सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद कर दिए जाते है और अप्रैल-मई में फिर से खोले जाते है। 

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