लखनऊ। लखनऊ। भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत में बृहस्पतिवार को अपना बयान दर्ज कराया और खुद को निर्दोष बताते हुए केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से फंसाने का आरोप लगाया। विशेष न्यायाधीश एस.के. यादव की अदालत में जोशी का बयान वीडियो कांफ्रेंस के जरिये दर्ज किया गया। भाजपा के करीब 86 वर्षीय नेता ने कहा कि वह बाबरी विध्वंस मामले में निर्दोष हैं और केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उन्हें गलत तरीके से फंसाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अभियोजन पक्ष की तरफ से इस मामले में पेश किये गये सुबूत झूठे और राजनीति से प्रेरित हैं। इसी मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का बयान शुक्रवार को दर्ज होना है।
जोशी के बयान के बाद अदालत ने अपने कार्यालय से कहा कि वह बयान की एक प्रति दिल्ली स्थित सीबीआई दफ्तर में भेजे। बाबरी विध्वंस के 32 अभियुक्तों में शुमार जोशी ने कहा ''मामले की पूरी जांच राजनीतिक प्रभाव में की गयी और उन्हें गलत तथा मनगढ़ंत साक्ष्यों के आधार पर आरोपित किया गया।'' जब जज ने सवाल पूछा कि गवाहों ने आखिर उनके खिलाफ साक्ष्य क्यों दिया, जोशी ने कहा ''सभी गवाह झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने राजनीतिक कारणों से और पुलिस के प्रभाव में आकर वे बयान दिये।'' न्यायाधीश एस.के. यादव ने जब कहा कि सीबीआई के गवाहों के बयान घटना से जुड़े विभिन्न वीडियो और अखबारों की कटिंग्स पर आधारित थे, जोशी ने कहा कि सभी सुबूत 'झूठे और मनगढ़ंत' हैं। जज ने 26 जून 1991 को राम जन्म भूमि परिसर की वे तस्वीरें दिखायीं जिसमें जोशी उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह तथा अन्य नेताओं के साथ नजर आ रहे हैं।
इस बारे में पूछने पर जोशी ने कहा कि वह फोटो फर्जी है और उस तस्वीर का कोई भी नेगेटिव रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं है। वह तस्वीर इस मामले की जांच के दौरान स्वप्न दास गुप्ता ने सीबीआई को सौंपी थी। जज ने कई अखबारों का भी संदर्भ दिया जिनमें राम जन्म भूमि के बारे में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और शिव सेना नेता बाला साहब ठाकरे के कथित बयान छपे थे। इस बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि वे खबरें गलत हैं और राजनीतिक छवि धूमिल करने और विचारधारा में भेद होने के कारण उन खबरों को जांच का हिस्सा बनाया गया।
विशेष न्यायाधीश एस.के.यादव ने सीबीआई द्वारा पेश किये गये एक गवाह के बयान का जिक्र करते हुए जोशी से कहा कि 25 जून 1991 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कल्याण सिंह अगले ही अपने मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों के साथ अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि/बाबरी मस्जिद स्थल पर पहुंचे और 'राम लला हम आएंगे, मंदिर यहीं बनाएंगे' का जाप किया। अदालत द्वारा इस बारे में जोशी से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह सच है कि कल्याण सिंह अयोध्या गये थे लेकिन बाकी की बातें गलत हैं। अदालत ने बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में जोशी से करीब 1050 सवाल किये और उन्होंने हर सवाल पर इनकार किये।
दिल्ली से वीडियो लिंक के जरिये बयान दर्ज करा रहे जोशी ने कहा कि वह अपने बचाव के सुबूत मुकदमे की कार्यवाही के दौरान उचित समय पर पेश करेंगे। जोशी का बयान उनके वकीलों विमल श्रीवास्तव, के.के.मिश्रा और रंजन की मौजूदगी में दर्ज किया गया। इसके अलावा सीबीआई की तरफ से ललित सिंह, आर.के.यादव और पी.चक्रवर्ती अदालत में मौजूद थे। विशेष सीबीआई अदालत बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत 32 आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है।
विशेष अदालत इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त तक पूरी करने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में प्रकरण में रोजाना कार्यवाही कर रही है। गौरतलब है कि अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था। उनकी आस्था थी कि किसी प्राचीन मंदिर को ढहाकर वह मस्जिद बनायी गयी थी। आडवाणी और जोशी उस वक्त राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता थे।
इस संबंध में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के शुक्रवार (24 जुलाई) को बयान दर्ज कराये जाने की संभावना है। बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में इस समय आरोपियों के बयान दर्ज किये जा रहे हैं। सभी 32 आरोपियों के बयान अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा-313 के तहत दर्ज हो रहे हैं।
बता दें कि अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने अयोध्या स्थित विवादित ढांचे को गिरा दिया था। राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व आडवाणी और जोशी ने किया था। भाजपा नेता उमा भारती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह इस मामले में बयान दर्ज करा चुके हैं। अदालत मामले की रोजाना सुनवायी कर रही है। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप उसे 31 अगस्त तक मामले की सुनवायी पूरी कर लेनी है।
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अदालत में तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने राजनीतिक प्रतिशोध के कारण उन्हें इस मामले में फंसाया। कल्याण सिंह ने भी तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि उनके खिलाफ लगाये गये आरोप झूठे और निराधार हैं और वह निर्दोष हैं।