Friday, November 22, 2024
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BJP नेताओं ने ढांचा गिराए जाने से रोकने का किया था प्रयास, CBI कोर्ट ने अपने फैसले में कहा

फैसले पर अहम टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि विध्वंस के दौरान वहां मौजूद आडवाणी, जोशी और उमा भारती जैसे बीजेपी नेताओं ने उपद्रवियों को बाबरी ढांचा गिराने से रोकने का प्रयास किया था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 30, 2020 13:07 IST
Babari Case- India TV Hindi
Image Source : FILE Babari Case

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आज सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित ढांचा गिराए जाने को एक आकस्मिक घटना बताया। वहीं कोर्ट ने सीबीआई द्वारा पेश किए गए फोटो और वीडियो के साक्ष्यों को भी मान्य नहीं किया। फैसले पर अहम टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि विध्वंस के दौरान वहां मौजूद आडवाणी, जोशी और उमा भारती जैसे बीजेपी नेताओं ने उपद्रवियों को बाबरी ढांचा गिराने से रोकने का प्रयास किया था। 

कोर्ट ने अपनी राय में कहा है कि जो भी वहां लाखों कार सेवक इकट्ठा हुए थे वे वहां पर सुप्रीम कोर्ट के कार सेवा के आदेश के बाद इकट्ठा हुए थे। कोर्ट ने अपनी राय में कहा है कि ढांचे को गिराए जाने की कोई पूर्व नियोजित साजिश नहीं थी और वहां पर जो नेता इकट्ठा थे उन लोगों ने उस घटना को रोकने के लिए प्रयास किया था, कोर्ट ने अपनी राय में कहा कि सीबीआई ने जो पेपर की कटिंग दाखिल की है उसका कोई आधार नहीं था कि वे कहां से आई थीं।

कोर्ट ने टिप्पणी की है कि विश्व हिंदू परिषद या संघ परिवार का कोई योगदान नहीं था, कुछ आराजक तत्वों ने ढांचा गिराया था, 12 बजे तक स्थिति सामान्य थी, कुछ अराजक तत्वों ने अराजकता की।

Babari Case

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Babari Case

विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.के.यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था। हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग—अलग कारणों से न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके। 

कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में शामिल थे। मामले के कुल 49 अभियुक्त थे, जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है। फैसला सुनाये जाने से ऐन पहले सभी अभियुक्तों के वकीलों ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437—ए के तहत जमानत के कागजात पेश किये। यह एक प्रक्रियात्मक कार्रवाई थी और इसका दोषसिद्धि या दोषमुक्त होने से कोई लेना—देना नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को बाबरी विध्वंस मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी । 

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