नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच डोकलाम मुद्दे पर पिछले एक महीने से तनातनी चल रही है। चीन बार-बार भारत को डोकलाम से अपनी सेना हटाने को कह रहा है। भारत भी अपने रुख पर कायम है। ऐसा पहली बार नहीं है कि भारत और चीन के बीच तनाव हुआ है। इसी तनाव के बीच अब योग गुरु बाबा रामदेव ने एक उपाय बताया है। रामदेव का दावा है कि अगर वह उपाय किया गया तो चीन नाक रगड़ने पर मजबूर हो जाएगा। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
बाबा रामदेव ने सरकार को सलाह दी है कि भारत चीन के खिलाफ अपने बाजार को हथियार बनाए। योग गुरु ने कहा कि अगर भारत सभी चीनी प्रोडक्ट का बहिष्कार कर दे, तो चीन कुछ दिनों में भारत के सामने नाक रगड़ने पर मजबूर हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि चीनी प्रॉडक्ट्स का बहिष्कार का आह्वान करने वाले रामदेव पहले शख्स हैं। पाकिस्तान से चीन की नजदीकियां और चीन के साथ हमारी तनातनी के बीच अक्सर कई संगठन चीनी सामान के बहिष्कार के लिए मुहिम चलाते दिखते हैं। हालांकि यह कहा जा सकता है कि बाबा रामदेव जैसे मशहूर लोगों की तरफ से खुल कर ऐसी टिप्पणी कम ही देखने को मिली है।
गौरतबल है कि इस चीन के सबसे बड़े व्यावसायिक साझेदारों में से भारत एक है। चीन की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा भारत को किए गए निर्यात पर निर्भर करता है। साल 2016 में चीन ने भारत को 58.33 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया था, जबकि भारत की तरफ से चीन को निर्यात किए जाने वाले सामान की कीमत महज 11.76 बिलियन डॉलर थी। इस तरह चीन की तरफ से भारत ने पांच गुनी कीमत का माल आयात किया।
क्या है डोकलाम विवाद?
दोनों देशों के बीच सिक्किम क्षेत्र में बढ़ते तनातनी का मुख्य वजह भारतीय जमीन के उस टुकड़े को माना जा रहा है जिसे 'चिकन नेक' के नाम से जाना जाता है। चीन, भारत को इस क्षेत्र में घेरना चाहता है इसलिए वह सिक्किम-भूटान और तिब्बत के मिलन बिंदु स्थल (डोका ला) तक एक सड़क का निर्माण करने की कोशिश कर रहा है जिस पर भारत को आपत्ति है। इस सड़क का निर्माण वह भूटान के डोकलाम पठार में कर रहा है। 'चिकन नेक' का अर्थ है मुर्गे की गर्दन और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लेकिन कमज़ोर क्षेत्रों को 'चिकन नेक' के नाम से जाना जाता है।
क्यों अहम है डोकलाम का पठार?
269 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल का यह इलाका भारत,चीन और भूटान की सीमाओं के पास है। यही वह इलाका है जहां तीनों देशों की सीमाएं मिलती हैं। 1914 की मैकमोहन रेखा के मुताबिक यह इलाका भूटान के अधिकार में है। जबकि चीन इस लाइन को मानने से ही इनकार करता है। और वक्त-वक्त पर उसके सैनिक भूटान की सीमा का अतिक्रमण करते रहते हैं।
डोकलाम के पठार की रणनीतिक रूप से इस इलाके में बेहद अहमियत है। चंबी घाटी से सटा हुआ होने के चलते चीन इस पठार पर अपनी सैन्य पोजीशन को मजबूत करना चाहता है। चीन की कोशिश है कि इस इलाके में सड़कों का जाल बिछाया जाए ताकि भारत के साथ युद्ध की स्थिति में जल्द से जल्द इस इलाके में सैन्य मदद पहुंचाई जा सके। डोकलाम के पठार पर चीन की इसी मंशा ने भारत को सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है।
चुंबी घाटी का चक्कर
रक्षा जानकारों के मुताबिक चुंबी घाटी में चीन की गतिविधियां भारत के लिए चिंता का सबब है। यह मानचित्र में हंसिए की तरह का हिस्सा है जो भारत के चिकन नेक से ठीक ऊपर स्थित है। अभी इस क्षेत्र में भू-सामरिक लिहाज से भारत बेहतर स्थिति में है लेकिन डोकलाम से डोका ला तक सड़क निर्माण कर चीन, इन देशों के मिलन बिंदु स्थल तक पहुंचकर भारत को घेरना चाहता है।
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