नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के मौत की सबसे बड़ी वजह ऑक्सीजन की कमी बनती जा रही है। अगर आपके शरीर में भी ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है और आप भी बिना डॉक्टर की सलाह के सोशल मीडिया पर वायरल दवाओं का सेवन करते हैं तो आपको खतरा हो सकता है। सोशल मीडिया पर शरीर में ऑक्सीजन लेवल को तुरंत संतुलित करने के लिए त्रिलोक्यचिन्तामण रस और होम्योपैथिक दवाई 'ASPIDOSPERMA Q' तेजी से वायरल हो रही हैं। आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) ने ऑक्सीन लेवल संतुलित करने के लिए इन दवाओं को लेकर जानकारी दी है।
आयुष मंत्रालय ने कहा कि ऐसी असत्यापित स्त्रोंतों द्वारा प्रकाशित किसी भी विज्ञापन का समर्थन नहीं करता है। कृपा करके गंभीर हालातों में स्वयं दवा का इस्तेमाल न करें। केवल चिकित्सक की सलाह से ही दवा लें। सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही एक पोस्ट जिसमें ऑक्सीजन की कमी के लिए दवा बताई गई है, जिससे ऑक्सीजन लेवल तुरंत बढ़ने का दावा किया गया है, दरअसल असत्यापित स्त्रोतों द्वारा पब्लिश की गई है। ये जानकारी आयुष मंत्रालय ने दी है।
जानिए क्या है होम्योपैथिक दवाई 'ASPIDOSPERMA Q'
वहीं एक वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि होम्योपैथिक दवाई 'ASPIDOSPERMA Q' ऑक्सीजन लेवल को तुरंत संतुलित कर सकती है और यह हमेशा संतुलित बना रहेगा। केंद्र सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पीआईबी फैक्ट चेक (PIB Fact Check) ने ट्वीट कर कहा कि ये दावा भ्रामक है। कोरोना संक्रमितों में ऑक्सीजन लेवल को संतुलित करने के लिए इसे विकल्प के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
माइल्ड लक्षण वाले कोरोना मरीजों के लिए कारगर है आयुष 64
हल्के और मध्यम कोरोना लक्षण वाले मरीजों का इलाज मलेरिया के उपचार में प्रयुक्त होने वाली आयुष-64 (AYUSH 64) की मदद से संभव है। आयुष मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय द्वारा तैयार की गई आयुर्वेदिक दवा आयुष 64 कोरोना के माइल्ड और हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए कारगर है इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुष 64 टेबलेट में होता है- चिरायता, करंजलता के बीज और कुटकी जो प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं, पिछले साल 2020 में भी आयुष मंत्रालय ने इस दवाई को कोरोना इलाज के लिए सहायक बताया था साथ में है। इस टैबलेट में सप्तप्रण की छाल भी होती है।
आयुष मंत्रालय और सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि आयुष-64 कोरोना के हल्के मरीजों के उपचार में कारगर है। इस दवा को काफी समय पूर्व केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने विकसित किया था और दवा बाजार में उपलब्ध है। एक साल पूर्व इसके कोरोना रोगियों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू किए गए थे जिनके नतीजों के आधार पर इसे कोरोना मरीजों के उपचार के लिए अनुसंशित कर दिया गया है।