नई दिल्ली: विश्वव्यापी कोरोना वायरस संकट से उबरने के लिये एक तरफ इसके इलाज की खोज जारी है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर ही संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद मदद करता है।
जानकारों की राय में तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ और किशमिश जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के अलावा नियमित योग करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है। जिससे तमाम वायरस जनित बीमारियों से शरीर को बचाना आसान हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आयुर्वेद के फायदे बताते हुये लोगों से तंदुरुस्त रहने के लिये आयुष मंत्रालय द्वारा जारी प्रोटोकॉल का अवलोकन करने की अपील की थी। मंत्रालय ने प्रोटोकॉल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये गुनगुना पानी पीने और योग-प्राणायाम करने और प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा ध्यान लगाने का सुझाव दिया है।
साथ ही पीएम मोदी ने भोजन में हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन का इस्तेमाल करने के अलावा प्रतिदिन सुबह दस ग्राम च्यवनप्राश खाने की बात भी इसमें कही गयी है। इतना ही नहीं कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने में गुड़ और नींबू के रस के सेवन को भी लाभप्रद बताया गया है।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व वैज्ञानिक ए के एस रावत ने कहा कि इन जड़ी बूटियों का इस्तेमाल शरीर में प्रोटीन और एंटीबॉडी का स्तर बढ़ाने में भी मददगार होता है। रावत ने कहा कि इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और मिंयादी बुखार एवं अन्य संक्रामक रोगों से बचना आसान हो जाता है।
आयुर्वेद उत्पाद बनाने वाली कंपनी एआईएमआईएल फार्मा के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस से बचाने में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का अहम योगदान होता है। कंपनी ने प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये आयुर्वेदिक पद्धति से तुलसी, गिलोय, मृत्युंजय रस और संजीवनी वटी जैसी जड़ी बूटियों द्वारा निर्मित उत्पाद बाजार में पेश किये हैं।
मंत्रालय के प्रोटोकॉल में कम से कम 150 मिली गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर दिन में एक बार या दो बार पीने का सुझाव दिया है। साथ ही सुबह और रात में तिल या नारियल का तेल अथवा घी नाक में लगाने को भी संक्रमण से बचाव में कारगर साबित हो सकता है।