नई दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की समूची 2.77 एकड़ भूमि रामलला विराजमान को देने के उच्चतम न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिये सोमवार को एक याचिका दायर की गयी। यह पुनर्विचार याचिका इस विवाद में मूल वादकारियों में शामिल एम.सिद्दीक के कानूनी वारिस मौलाना सैयद अशहद रशीदी की ओर से जमीयत उलेमा हिन्द ने दायर की है। रशीदी जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष हैं।
याचिका में कहा गया है कि फैसला त्रुटिपूर्ण है और इस पर संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत पुनर्विचार की आवश्यकता है। आगे कहा कि कि शीर्ष अदालत ने पक्षकारों को राहत के मामले मं संतुलन बनाने का प्रयास किया है, हिन्दू पक्षकारों की अवैधताओं को माफ किया गया है और मुस्लिम पक्षकारों को वैकल्पिक रूप में पांच एकड़ भूमि का आबंटन किया गया है जिसका अनुरोध किसी भी मुस्लिम पक्षकार ने नहीं किया था।
पुनर्विचार याचिका में उन्होंने कहा है कि इस तथ्य पर गौर किया जाये कि याचिकाकर्ता ने संर्पूण फैसले को चुनौती नही दी है। अगर 217 पन्नों की इस रिव्यू पेटिशन की मुख्य मांगों की बात करें तो इसमें सिर्फ तीन मुख्य मांगे हैं। पहली- इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजमेंट पर स्टे लगाई जाए, दूसरा- सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट पर स्टे लगाई जाए और तीसरा- कोर्ट का केंद्र सरकार को जो आदेश है 3 महीने में ट्रस्ट बनाने का, उसपर रोक लगाई जाए।
(इनपुट- भाषा)