नई दिल्ली: अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रहा है। विवादित भूमि के मालिकाना हक के तथ्यों को लेकर अदालत में सबसे ज्यादा बहस हुई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं होगा, इसके बाद रिव्यू पिटीशन दाखिल की जा सकेगी। रिव्यू पिटीशन यानी कि पुनर्विचार याचिका उसी बेंच के पास आती है जो बेंच फैसला सुनाती है।
बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। लेकिन यदि रिव्यू पिटीशन 17 नवंबर के बाद आई तो अगले चीफ जस्टिस तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई के लिए मौजूदा पीठ में जस्टिस गोगोई की जगह पांचवा जज कौन होगा। सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई की जाए या नहीं की जाए। हालांकि, रिव्यू पिटीशन की ओपन कोर्ट में नहीं बल्कि चैंबर में सुनवाई होती है।
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर कुल 20 याचिकाओं में रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा मुख्य पक्षकार हैं।
जानिए हिंदू पक्षकार ने क्या कुछ दलीलें पेश की थीं
- हिंदू पक्ष- भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ। राम देश के सांस्कृतिक पुरुष। मंदिर में पूजा और त्योहार पौराणिक काल से चल रहे हैं। विष्णु हरि, जिनके सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम राम हैं उनका प्राचीन मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। राम की जन्मभूमि उसी जगह जहां मस्जिद का मुख्य गुंबद है।
- हिंदू पक्ष- पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी राम जन्म स्थान का सटीक ब्यौरा है। इनकी तस्दीक फाहयान और उसके बाद आए विदेशी सैलानियों की डायरी और आलेखों से होती है। मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे वाला स्थान ही भगवान राम का सही जन्मस्थान है।
- हिंदू पक्ष- बाबरी मस्जिद निर्माण के लिए मंदिर मुगल शासक बाबर ने तुड़वाया था या औरंगजेब ने, इसका सबूत या दस्तावेज ही नहीं है। असल में विवादित ढांचा मंदिर था, जिसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। वहां मस्जिद का नए सिरे से निर्माण हुआ ही नहीं था।
- हिंदू पक्ष- रामलला विराजमान ने कहा 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मंदिर था, जिसकी जगह बाबर ने मस्जिद बनवाई। 85 खंबे, उन पर चित्रकारी और एएसआई की रिपोर्ट इसकी पुष्टि करती है। भले मस्जिद बन गई, पर मालिकाना हक हिंदुओं का रहा। निर्मोही अखाड़ा ने कहा विवादित स्थल पर हम शुरू से शेबेट (देवता के सेवक) रहे हैं। मालिकाना हक हमारा है। एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई की रिपोर्ट में भी विवादित ढांचे के नीचे टीले में विशाल मंदिर के प्रमाण मिले।
- हिंदू पक्ष- वर्ष 1934 के बाद इस स्थल पर मुसलमानों ने नमाज बंद कर दी थी, मगर हिंदुओं ने पूजा जारी रखी। हिंदू वर्ष 1800 के पहले से लगातार पूजा कर रहे हैं। इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर तोड़कर जबरन मस्जिद बनाई।
- हिंदू पक्ष- खुदाई में मिले कसौटी पत्थर के खंबों में देवी देवताओं, हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी। विवादित स्थल पर खुदाई के बाद एएसआई रिपोर्ट में स्पष्ट है कि वहां मिले अवशेष और खंभे किसी मंदिर के हैं। यानी वहां पहले मंदिर था। कुरान के अनुसार मस्जिद पर किसी भी प्रकार के चित्र की मनाही होती है।
- हिंदू पक्ष- 1885 में फैजाबाद के तत्कालीन जिला जज ने अपने फैसले में माना था कि 1528 में इस जगह हिंदू धर्मस्थल को तोड़कर निर्माण किया गया, लेकिन चूंकि अब इस घटना को साढ़े तीन सौ साल से ज्यादा हो चुके हैं लिहाजा अब इसमें कोई बदलाव करने से कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती है।
- हिंदू पक्ष- कुरान के अनुसार मस्जिद में चित्रकारी निषेध है। अन्य धार्मिक स्थल की जगह बनाई है, तो अवैध है। अासपास कब्र है तो वह मस्जिद नहीं कहलाती, जबकि विवादित जगह कई कब्रें मिली थीं। एएसआई की रिपोर्ट से साफ है कि मंदिर में फेरबदल कर मस्जिद बनाई गई।
- हिंदू पक्ष: राम और उनकी जन्मभूमि आस्था का केंद्र है। लोग इसे भगवान की तरह पूजते हैं। इसलिए रामलला न्यायिक व्यक्ति हैं।