नयी दिल्ली: अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई शुरू की। इस मामले को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के प्रयास विफल रहने के बाद अब इसमें रोजाना सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, “चलिए हम सुनवाई शुरू करते हैं।” इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।
पीठ ने तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट पर दो अगस्त को संज्ञान लिया था कि करीब चार महीने तक चली मध्यस्थता की कार्यवाही में कोई अंतिम समाधान नहीं निकला। मध्यस्थता पैनल की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला कर रहे थे। अब उम्मीद है कि करीब 100 दिनों में राम मंदिर के मामले में कोई फैसला हो सकता है जिसके लिए राम मंदिर पर पांच जजों की संवैधानिक बेंच सुनवाई करेगी। संवैधानिक बेंच हफ्ते में तीन दिन यानी मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ही बैठती है। यानी राम मंदिर पर हफ्ते में इन तीनों दिन ही सुनवाई होगी।
देश की सबसे बड़ी अदालत में राम मंदिर पर जो पांच जज फैसला करेंगे उनमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के साथ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर शामिल हैं। हर रोज़ होने वाले इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट पहले हिंदू पक्षकारों को सुनेगा।
पहले निर्मोही अखाड़ा और रामलला का पक्ष सुना जाएगा। हिन्दू महासभा ने कहा है कि 40 दिन में वो अपनी बात रख देंगे। वहीं मुस्लिम पक्ष के मुताबिक वो 20 दिन में अपना पक्ष रखेंगे। ये कहा जा सकता है कि 60 दिन में मंदिर पर सुनवाई पूरी हो जाएगी लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं इसीलिए उम्मीद है कि इससे पहले फैसला आ सकता है।