नई दिल्ली: अयोध्या विवाद में रोजाना सुनवाई होगी या फिर बातचीत का रास्ता खुला रहेगा, सुप्रीम कोर्ट इसका फैसला 2 अगस्त को करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमिटी से 31 जुलाई तक फाइनल रिपोर्ट जमा करने को कहा है। इसके बाद वह रोजाना सुनवाई पर फैसला करेगा। शीर्ष अदालत ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि उसे जस्टिस एफ एम आई कलीफुल्ला के नेतृत्व वाले तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट मिली है। कोर्ट रिपोर्ट को देख रहा है। पैनल को 31 जुलाई तक बातचीत जारी रखने को भी कहा। बता दें कि कोर्ट ने पहले 25 जुलाई की फौरी तारीख रोजाना सुनवाई करने के लिए तय की थी। अब कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तारीख 2 अगस्त तय की है।
बता दें कि इस मामले पर याचिकाकर्ता गोपाल सिंह विशारद ने भी एक याचिका देकर मध्यस्थता प्रक्रिया को रोकने और मामले की तेजी से सुनवाई करने की अपील की थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 11 जुलाई को इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी थी और कहा था कि अगर अदालत मध्यस्थता कार्यवाही पूरी करने का फैसला करती है तो 25 जुलाई से रोजाना आधार पर सुनवाई शुरू हो सकती है।
पीठ ने तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष और शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एफ एम आई कलीफुल्ला से अब तक हुई प्रगति और मौजूदा स्थिति के बारे में 18 जुलाई तक उसे अवगत कराने को कहा था। पीठ ने 11 जुलाई को कहा था, ‘‘कथित रिपोर्ट 18 जुलाई को प्राप्त करना सुविधाजनक होगा जिस दिन यह अदालत आगे के आदेश जारी करेगी।’’ पीठ में न्यायमूर्ति एस एस बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।
पीठ ने मूल वादियों में शामिल गोपाल सिंह विशारद के एक कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा दाखिल आवेदन पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया। आवेदन में विवाद पर न्यायिक फैसले की और मध्यस्थता प्रक्रिया समाप्त करने की मांग की गयी थी। आरोप लगाया गया था कि इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं हो रहा। पीठ ने कहा था कि अदालत मध्यस्थता समिति द्वारा दाखिल रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद 18 जुलाई को उचित आदेश जारी करेगी। समिति में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू भी शामिल हैं।