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गाजियाबाद में बदलते मौसम के कारण अस्थमा के मामलों में 10-15 फीसदी तक की वृद्धि

सांस लेने में कष्ट, खांसी और सांस छोटी होना, यह सभी अस्थमा के लक्षण हैं, जो कि एक स्थायी श्वसन रोग है और फेफड़ों में वायु के मार्ग में प्रदाह के कारण होता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 04, 2019 20:26 IST
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गाजियाबाद: मौसम में बदलाव के दौरान अस्थमा के मामलों में 10-15 फीसदी तक की वृद्धि

गाजियाबाद: अस्‍थमा एलर्जी के कारण होता है। यह एलर्जी किसी भी चीज से हो सकती है, जैसे कि प्रदूषक तत्‍व, धूल, कॉकरोच, डस्‍ट माइट्स और पालतू पशु। मॉनसून अस्‍थमा को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा कारक है। ये अस्‍थमा अटैक वरिष्‍ठ नागरिकों के लिये जानलेवा हो सकते हैं, जबकि कम उम्र के मरीजों में इनके लक्षणों को बद्तर बना सकते हैं।

डॉ. शालिनी त्यागी, कंसल्टेन्ट पीडियाट्रिशियन ने कहा, ‘‘सभी मौसमी बदलावों का सम्बंध अस्थमा के रोगियों की बढ़ती हुई संख्या से है। हालांकि आज रोकथामपरक इनहेलर्स के कारण रोग की तीव्रता और आवृत्ति कम हुई है। मॉनसून के दौरान सांस लेने में कष्ट और अस्थमा के मामले बढ़ जाते हैं, क्योंकि आमतौर पर यह बुखार से जुड़ा होता है, जो इस मौसम में वायरल संक्रमण के कारण बढ़ता है। यह वृद्धि लगभग 10-15 प्रतिशत तक है। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में अस्थमा के नये मामलों में खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। अस्थमा से पीड़ित मेरे अधिकांश रोगी 3-6 वर्ष के हैं।’’

डॉ. आशीष अग्रवाल, पल्मोनोलॉजिस्ट ने कहा, ‘‘सांस लेने में कष्ट, खांसी और सांस छोटी होना, यह सभी अस्थमा के लक्षण हैं, जो कि एक स्थायी श्वसन रोग है और फेफड़ों में वायु के मार्ग में प्रदाह के कारण होता है। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति वायु मार्ग में दबाव का अनुभव करता है और उसके फेफड़ों में ऑक्सीजन के प्रवाह में बाधा आती है। मॉनसून के दौरान आर्द्रता का बढ़ा हुआ स्तर उत्प्रेरक का काम करता है, जिससे वायु मार्ग की मांसपेशियाँ संकुचित हो जाती हैं और सांस लेने में कठिनाई होती है।’’

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