गुवाहाटी: राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मसौदे से बाहर किए गए 40 लाख लोगों में से 35.5 लाख से अधिक लोग एनआरसी में नाम शामिल कराने के लिए अब तक आगे नहीं आये है। उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली इस कवायद में दावों और आपत्तियों को लिए जाने पर यह बात सामने आई है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। दावे और आपत्तियां लेने का कार्य दो महीने पहले शुरू हुआ था। इसके अलावा अधिकारियों को 200 से भी कम ऐसे आवेदन मिले हैं जिनमें एनआरसी में संदिग्ध अवैध घुसपैठियों के नाम शामिल होने को चुनौती दी गई है।
अब तक करीब 4.5 लाख लोगों ने एनआरसी में अपना नाम शामिल कराने के लिए आवेदन जमा किया है और उन्होंने उन्हें उचित दस्तावेज भी सौंपे हैं। सूत्रों ने बताया कि इसका मतलब यह हुआ कि 35.5 लाख लोग अब तक इस दावे के साथ आगे नहीं आये है कि वे भारतीय हैं। शायद उनके पास उचित दस्तावेज नहीं हो सकते हैं। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद दावें और आपत्तियां जमा कराने की प्रक्रिया 25 सितम्बर को शुरू हुई थी और यह प्रक्रिया 15 दिसम्बर को समाप्त होगी।
इस अवधि के दौरान कम संख्या में दावे और आपत्तियां प्राप्त होने को लेकर नयी दिल्ली में शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा, खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन सहित अन्य शामिल हैं। एनआरसी के मसौदे का प्रकाशन 30 जुलाई को किया गया था, जिससे करीब 40 लाख लोगों के नाम बाहर किए जाने को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था।