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CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों ने सोनोवाल को काले झंडे दिखाए

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बुधवार को असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को काले झंडे दिखाए।

Reported by: Bhasha
Updated on: January 01, 2020 20:29 IST
Assam Chief Minister Sarbananda Sonowal - India TV Hindi
Image Source : TWITTER (FILE) Assam Chief Minister Sarbananda Sonowal 

गुवाहाटी। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बुधवार को असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को काले झंडे दिखाए। जब मुख्यमंत्री गुवाहाटी से बारपेटा जिले में धार्मिक उपदेशक कृष्णगुरु के आश्रम जा रहे थे तब एएएसयू और असम जातियतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) के कार्यकर्ताओं ने उन्हें कई स्थानों पर काले झंडे दिखाए। जब सोनोवाल का काफिला नलबाड़ी और बारपेटा जिलों से गुजर रहा था तब प्रदर्शनकारियों ने सीएए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।

CAA असम के मूल निवासियों के हितों को प्रभावित नहीं करेगा: सोनोवाल

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बुधवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) किसी भी तरह से राज्य के मूल निवासियों को प्रभावित नहीं करेगा क्योंकि केंद्र ने असमी हितों के संरक्षण के लिए पहले ही नियम बना लिया है।

मुख्यमंत्री ने नववर्ष के अवसर पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि सीएए अब एक राष्ट्रीय कानून है और असम के मूल निवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए गए हैं। सोनोवाल ने लोगों से उनमें भरोसा रखने की अपील करते हुए कहा, ‘‘लोगों को इस कानून के बारे में अपने मन में कोई संदेह या भ्रम नहीं रखना चाहिए। उनके हितों के संरक्षण के लिए हमारे पास कई योजनाएं हैं और नये साल के पहले दिन, मैं सभी भूमि पुत्रों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं और ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो उनके अस्तित्व को खतरे में डाल सके?’’

उन्होंने कहा कि देश में कोई भी नया आदमी नहीं आएगा और यदि वे कोशिश करेंगे, तो हम इसकी इजाजत नहीं देंगे। नागरिकता के लिए योग्यता के रूप में 31 दिसंबर 2014 की समय सीमा तय की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यदि कोई व्यक्ति नये नियमों को पढ़ेगा तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कोई बांग्लादेशी या किसी और देश का कोई अन्य व्यक्ति हमारे देश में घुसने के लिए इस कानून का फायदा नहीं उठा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस देश में दशकों से रह रहे लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे, फिर इन आवेदनों की पड़ताल की जाएगी और इसके वैध पाए जाने पर ही उन्हें नागरिकता दी जाएगी।’’

सोनोवाल ने कहा कि इस अधिनियम के बारे में असम के लोगों के संदेहों, चिंताओं और भ्रम के बारे में उनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को शुरू से ही अवगत कराया गया। उन्होंने इन आशंकाओं को दूर करने के लिए इसे विचारार्थ लिया।

उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार असम समझौते के खंड छह पर समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो असम के मूल निवासियों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बारे में दस्तावेजी सबूत हैं कि कांग्रेस और वाम दल जैसी राजनीतिक पार्टियां सामान्य और बेकसूर लोगों के बीच, खासतौर पर चाय बागान इलाकों में यह दुष्प्रचार कर रही हैं कि अवैध प्रवासी उनकी अतिरिक्त जमीन पर बसाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह (सोनोवाल) असमी समुदाय की जातीय चेतना (राष्ट्रवादी जागरण) की उपज हैं और ‘‘सिर्फ इसलिए कि वह एक राष्ट्रीय पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए, इसका यह मतलब नहीं है कि मैंने अपनी जड़ों, संस्कृति या राज्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को त्याग दिया।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अब हमें ऐसा अपराधी बताया जा रहा है, जिसने अपनी पार्टी की खातिर असम के लोगों के हितों की आहुति दे दी। हमने ऐसा क्या किया है कि इस तरह का दुष्प्रचार किया रहा है।’’

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