नई दिल्ली: आसाराम को एक नाबालिग लड़की से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाने वाली जोधपुर की एक विशेष ‘पॉक्सो’ अदालत ने कहा है कि ‘‘संत कहे जाने के’’ बावजूद आसाराम ने घृणित अपराध किया और संतों में लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाई।
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अदालत के विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने 453 पन्नों के अपने फैसले में इस बात को लेकर दुख जताया कि आसाराम ने अपने घृणित कृत्य से ‘‘ना केवल अपने अनुयायियों की आस्था को ठेस पहुंचाई, बल्कि आम लोगों में संतों की प्रतिष्ठा भी धूमिल की।’’
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पीड़िता के पिता एवं उसके परिवार की आसाराम में आस्था की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘उनके (पीड़िता के पिता) मन में आसाराम के लिए इतना सम्मान था कि उन्होंने अपने बेटे और बेटी, दोनों को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के गुरूकुल पढ़ने के लिए भेज दिया था। लेकिन उस ने बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्त कराने के बहाने पीड़िता को अपने आश्रम बुलाकर उससे बलात्कार किया।’’