नई दिल्ली: कोरोना के कारण देश में कई जेलों से कैदियों को छोड़े जाने की कवायदों के बीच भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आसाराम बापू की भी रिहाई की मांग की है। नाबालिग से दुष्कर्म मामले में जेल की हवा खा रहे आसाराम की अधिक उम्र और बीमारी का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी ने उसकी रिहाई की मांग की है।
जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद 1375 कैदियों में आसाराम बापू भी है। बीते दिनों कोरोना के बहाने खुद को पैरोल पर छोड़े जाने की मांग को लेकर आसाराम के भूख हड़ताल पर बैठने की भी खबर आई थी। बताया जाता है कि आसाराम को कोरोना के कारण कैदियों के बीच डर लग रहा है।
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोमवार को एक ट्वीट किया, "यदि दोषी करार कैदियों को छोड़ा जा रहा है तो गलत तरीके से दोषसिद्ध करार 85 वर्षीय बीमार आसाराम बापू को पहले छोड़ना चाहिए।"
सर्वोच्च न्यायालय ने बीते दिनों एक याचिका की सुनवाई करते हुए कोरोनावायरस के खतरे के कारण जेलों के इंतजाम पर सवाल खड़े किए थे। क्षमता से कई गुना ज्यादा कैदियों के होने पर राज्य सरकारों को कुछ को पैरोल पर छोड़ने का सुझाव दिया था। पैरोल पर वे कैदी छोड़े जाते हैं जिनका जेल में चाल-चलन ठीक पाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अमल करे हुए उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में कैदियों को छोड़ने की कवायद चल रही है। ऐसे में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी आसाराम बापू को छोड़ने की मांग उठाई है।
उल्लेखनीय है कि जोधपुर के निकट स्थित आसाराम के मनाई आश्रम में रहने वाली एक नाबालिग छात्रा ने आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। एक अगस्त, 2013 को उजागर हुए इस मामले में 31 अगस्त, 2013 को आसाराम की इंदौर से गिरफ्तारी हुई थी। वहीं 25 अप्रैल को जोधपुर की अदालत ने उन्हें नाबालिग से दुष्कर्म करने का दोषी माना था। तब से आसाराम बापू जेल में बंद हैं।