अहमदाबाद: साबरमती नदी के तट पर एक कुटिया में ध्यान से अपना सफर शुरू करने के बाद 10 हजार करोड़ रूपये का विशाल साम्राज्य खड़ा कर लेने वाले आसाराम की प्रतिष्ठा अब धूल-धूसरित हो गयी है। उसे अब अपयश भरा जीवन गुजारना पड़ेगा क्योंकि एक नाबालिग लड़की से बलात्कार मामले में आज उसे अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया।
आसाराम का मूल नाम आसुमल सिरुमलानी था। माना जाता है कि भारत और विदेशों में उसके 400 से अधिक आश्रम है। बड़ी संख्या में उसके श्रद्धालु उस पर आज भी आस्था रखते हैं। उसे जोधपुर की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। आसाराम को वर्ष 2013 में गिरफ्तार किया गया था। जांचकर्ताओं ने कहा था कि 77 वर्षीय इस विवादास्पद बाबा के पास अकूत संपत्ति है जिसमें कई इमारतें, शेयर आदि शामिल हैं। उसने ब्याज पर पैसा देने तथा आयुर्वेदिक उत्पाद एवं धार्मिक पुस्तकों की बिक्री के जरिये भी धन कमाया था।
पुलिस द्वारा मोटेरा में आसाराम के आश्रम से बरामद किये गये दस्तावेजों से पता चला है कि उसके पास कई जमीन भी हैं। अगर आकंड़ों की बात करें तो 1970 के दशक में साबरमती नदी के किनारे एक झोंपड़ी से शुरुआत करने से लेकर देश और दुनियाभर में 400 से अधिक आश्रम बनाने वाले आसाराम ने चार दशक में 10,000 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया।
वर्ष 2013 के बलात्कार मामले में आसाराम की गिरफ्तारी के बाद यहां मोटेरा इलाके में उसके आश्रम से पुलिस द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच से खुलासा हुआ कि 77 वर्षीय आसाराम ने करीब 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति बना ली थी और इसमें उस जमीन की बाजार कीमत शामिल नहीं हैं जो उसके पास है। आसाराम के समर्थकों की अब भी अच्छी खासी तादाद हो सकती है लेकिन बलात्कार के आरोपों के बाद उस पर जमीन हड़पने और अपने आश्रमों में काला जादू करने जैसे अन्य अपराधों के आरोप भी लगे।
उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद वृत्तचित्र के अनुसार आसाराम का जन्म वर्ष 1941 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बेरानी गांव में हुआ था और उसका नाम आसुमल सिरुमलानी था। वर्ष 1947 के विभाजन के बाद आसुमल अपने माता-पिता के साथ अहमदाबाद आया और वह मणिनगर इलाके में एक स्कूल में केवल चौथी कक्षा तक पढ़ा। उसे दस साल की उम्र में अपने पिता की मौत के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
वृत्तचित्र में दावा किया गया है कि युवावस्था में छिटपुट नौकरियां करने के बाद आसुमल ‘‘आध्यात्मिक खोज’’ पर हिमालय की ओर निकन पड़ा जहां वह अपने गुरू लीलाशाह बापू से मिला। यही वह गुरू थे जिन्होंने 1964 में उसे ‘आसाराम’ नाम दिया। इसके बाद आसाराम अहमदाबाद आया और उसने मोटेरा इलाके के समीप साबरमती के किनारे तपस्या शुरू की। आध्यात्मिक गुरू के रूप में उसका असल सफर 1972 में शुरू हुआ जब उसने नदी के किनारे ‘मोक्ष कुटीर’ स्थापित की।
साल-दर-साल ‘संत आसारामजी बापू’ के रूप में उसकी लोकप्रियता बढ़ती गई और उसकी छोटी सी झोंपड़ी आश्रम में तब्दील हो गयी। महज चार दशकों में उसने देश और विदेश में करीब 400 आश्रम खोल लिए। यहां तक कि आज मोटेरा आश्रम समर्थकों से भरा पड़ा है जो अब भी यही रट लगाए हुए हैं कि उनके ‘गुरू’ को झूठे आरोपों पर जेल भेजा गया। आसाराम ने लक्ष्मी देवी से शादी की और उसके दो बच्चे नारायण साई और बेटी भारती देवी है। नारायण साई भी जेल में बंद है।
आसाराम पहली बार मुसीबत में तब पड़ा जब उसके दो रिश्तेदार दीपेश और अभिषेक वाघेला वर्ष 2008 में रहस्यमय परिस्थितियों में मोटेरा आश्रम के समीप मृत पाए गए। राज्य सीआईडी ने इस मामले में वर्ष 2009 में आसाराम के सात समर्थकों पर मामले दर्ज किए। दोनों रिश्तेदारों के माता-पिता ने आरोप लगाया कि उन्हें आसाराम के आश्रम में इसलिए मारा गया क्योंकि वे काला जादू करते थे।
हालांकि आसाराम की ख्याति असल में वर्ष 2013 में गिरनी शुरू हई जब उसे राजस्थान में नाबालिग से बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद सूरत की दो बहनों ने भी आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। सूरत पुलिस ने छह अक्तूबर 2013 को दो बहनों की शिकायतों पर मामला दर्ज किया। गांधीनगर की अदालत में आसाराम के खिलाफ यह मामला चल रहा है। उस पर सूरत और अहमदाबाद में अपने आश्रमों के लिए जमीन हड़पने का भी आरोप है। उसके समर्थकों को बलात्कार के मामलों में गवाहों को धमकाने के लिए पकड़ा भी गया था।