Friday, November 22, 2024
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नोटबंदी के बाद धन संकट से जूझ रहे अलगाववादी, माओवादी: जेटली

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि नोटबंदी के कारण भारत के कई हिस्सों में माओवादी और जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी धन संकट से जूझ रहे हैं। जेटली ने कहा कि इससे आतंकवाद से ग्रस्त राज्य में पथराव में शामिल होने वाले प्रदर्शकारियों की संख्या में

Reported by: Bhasha
Updated on: August 20, 2017 18:04 IST
arun jaitley- India TV Hindi
arun jaitley

मुंबई: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि नोटबंदी के कारण भारत के कई हिस्सों में माओवादी और जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी धन संकट से जूझ रहे हैं। जेटली ने कहा कि इससे आतंकवाद से ग्रस्त राज्य में पथराव में शामिल होने वाले प्रदर्शकारियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।

उन्होंने कहा, नोटबंदी की घोषणा से पहले कश्मीर की सड़कों पर हजारों की संख्या में पत्थरबाज जुट जाया करते थे लेकिन अब ऐसे आंदोलनों में 25 लोग भी नहीं जुटते हैं। नोटबंदी के बाद से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में माओवादियों के पास पैसे की कमी हो गई है।

जेटली, मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उनके संबोधन का विषय नव भारत संकल्प था। इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित थे। नवंबर 2016 में उच्च मूल्य वाले नोटों को बंद करने के लाभों पर विस्तार से चर्चा करते हुए जेटली ने कहा कि जिस धन का लेनदेन अर्थव्यवस्था से इतर होता था वह अब आधिकारिक बैंकिंग प्रणाली में आ गया है।

नए भारत के निर्माण की भाजपा की परिकल्पना के बारे में उन्होंने कहा, हम धन को रक्षा, ग्रामीण विकास तथा बुनियादी ढांचे पर खर्च करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, हमारे पास विस्तरीय सरकारी संस्थान होने चाहिए ताकि गोरखपुर त्रासदी जैसी शर्मनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।

जेटली ने कहा कि मोदी सरकार 7-7.5 फीसदी जीडीपी विकास दर से संतुष्ट नहीं है। विकास दर को बढ़ाने के लिए सरकार राष्ट्र के हित में सख्त फैसले लेना जारी रखेगी, ठीक वैसे ही जैसे उसने वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद किया था।

जेटली ने सत्ता में तीन वर्ष पूरे करने वाली भाजपा सरकार की उपलब्धियां गिनाई। इस क्रम में उन्होंने जीएसटी, नोटबंदी, दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, बेनामी लेनदेन से संबंधित कानूनों में संशोधन, स्पेक्ट्रम और प्राकृतिक संसाधनों के निष्पक्ष आवंटन और विभिन्न देशों के साथ की गई दोहरा कराधान बचाव संधि का जिक्र किया।

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