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1965 और 1971 की जंग से मजबूत हुई इंडियन आर्मी, किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम: जेटली

सीमा पर चीन के साथ गतिरोध के बीच रक्षामंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में आज कहा कि भारतीय सशस्त्र बल देश की सुरक्षा के सामने उत्पन्न किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि 1962 के युद्ध से सबक लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा

Edited by: India TV News Desk
Updated on: August 09, 2017 20:50 IST
arun jaitely- India TV Hindi
arun jaitely

नई दिल्ली: सीमा पर चीन के साथ गतिरोध के बीच रक्षामंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में आज कहा कि भारतीय सशस्त्र बल देश की सुरक्षा के सामने उत्पन्न किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि 1962 के युद्ध से सबक लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर के 1948 में कब्जाए गए हिस्सों को वापस पाने की देश के लोगों में प्रचंड इच्छा है।

महात्मा गांधी द्वारा 1942 में शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष चर्चा में जेटली ने कहा कि इन दशकों में भारत के सामने कई चुनौतियां खड़ी हुईं, लेकिन हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि प्रत्येक चुनौती के साथ देश मजबूत होता गया।

'सशस्त्र बल 1965 और 1971 भारत-पाक युद्ध के घटनाक्रमों से और मजबूत हुए'

उन्होंने कहा कि भारत ने चीन के साथ 1962 के युद्ध से यह सबक सीखा कि हमें अपने सशस्त्र बलों को पूर्ण सक्षम बनाना होगा क्योंकि आज भी हमारे देश के समक्ष हमारे पड़ोसी देशों की ओर से चुनौतियां हैं। जेटली ने कहा कि सशस्त्र बल 1965 और 1971 भारत-पाक युद्ध के घटनाक्रमों से और मजबूत हुए।

'कुछ लोगों की हमारी संप्रभुता और अखंडता पर नजर है'

उन्होंने कहा, मैं सहमत हूं कि कुछ चुनौतियां आज भी हैं। कुछ लोगों की हमारी संप्रभुता और अखंडता पर नजर है। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे वीर सैनिक हमारे देश को सुरक्षित रखने की क्षमता रखते हैं, चाहे चुनौतियां पूर्वी सीमा पर हों या पश्चिमी सीमा पर।

जेटली के इस संदेश का इसलिए काफी महत्व है क्योंकि यह ऐसे समय आया है जब भारत और चीन के बीच दो महीने से डोकलाम में गतिरोध बरकरार है। जेटली ने हालांकि इसका उल्लेख नहीं किया। नेता सदन ने कहा कि आजादी के बाद देश के सामने पहली चुनौती तब आई जब पड़ोसी की नजर कश्मीर पर पड़ी, हमने एक हिस्सा खोया जिसे वापस पाने की भावना आज भी कचोटती है।

'आज देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद की है'

जेटली ने देश के समक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद की है। हमने पंजाब में आतंकवाद देखा लेकिन हमने इस चुनौती का सामना सफलतापूर्वक किया और पंजाब को आतंकवाद मुक्त बनाया। उन्होंने वाम उग्रवाद पर भी चिंता जताई और कहा कि ऐसे लोग हिंसा के माध्यम से साा बदलने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ सीमा पार से और कुछ अंदर से देश में आतंक फैलाने का प्रयास करते हैं। आज आतंकवाद के खिलाफ इस सदन को एकजुट होकर भी बोलना है।

'आतंकवाद की वजह से एक प्रधानमंत्री और एक पूर्व प्रधानमंत्री को खोना पड़ा'

जेटली ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के संदर्भ में कहा कि देश को आतंकवाद की वजह से एक प्रधानमंत्री और एक पूर्व प्रधानमंत्री को खोना पड़ा। उन्होंने कहा कि आज शांति, सद्भाव और मेलजोल की आवश्यकता है। अगर किसी प्रांत में एक-दूसरे के खिलाफ राजनीतिक हिंसा होती है, कहीं आतंकवाद की घटना होती है, तो इस तरह की घटनाओं के लिए देश में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। आज देश को आर्थिक रूप से प्रगतिशील बनाने का प्रण लेने की भी आवश्यकता है।

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