Tuesday, November 05, 2024
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अरुण जेटली ने इमरजेंसी को किया याद, इंडिया टीवी चेयरमैन रजत शर्मा और विजय गोयल की साहस दिखाने के लिए की तारीफ

अपने ब्लॉग में अरुण जेटली ने आपातकाल के दौर के अपने सबसे अच्छे दोस्त रजत शर्मा ( चेयरमैन, एडिटर इन चीफ इंडिया टीवी) और मोदी कैबिनेट के उनके साथी विजय गोयल को भी याद किया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 26, 2018 17:49 IST
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Image Source : PTI केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली।

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आपातकाल की 43वीं बरसी पर फेसबुक पर एक ब्लॉग लिखा है। इस ब्लॉग के दो हिस्से पहले ही वें सार्वजनिक कर चुके हैं। इस लेख का तीसरा और आखिरी हिस्सा उन्होंने बुधवार को फेसबुक पर शेयर किया। इस पार्ट में अरुण जेटली ने आपातकाल के खिलाफ विभिन्न पार्टियों द्वारा किए गए संघर्ष को याद किया। आपातकाल के दौरान करीब दो साल जेल और जेल के बाहर से जनसंघ, समाजवादी विचार वाले दल, स्वतंत्रता पार्टी, कांग्रेस (ओ) द्वारा किए गए संघर्ष को अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग के माध्यम से बताया।

कम्युनिस्ट पार्टी का आपातकाल का समर्थन करना, इंदिरा गांधी और संजय गांधी का 1977 के आम चुनाव में अपनी सीटों तक पर चुनाव हार जाना, 19 महीने जेल में रहने के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में अटल बिहारी वाजपेयी के ऐतिहासिक भाषण को भी अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में याद किया। इसके साथ ही अपने ब्लॉग में अलग से पर्सनल नोट के तौर पर लिखकर अरुण  जेटली ने आपातकाल के दौर के अपने सबसे अच्छे दोस्त रजत शर्मा ( चेयरमैन, एडिटर इन चीफ इंडिया  टीवी) और मोदी कैबिनेट के उनके साथी विजय गोयल को भी याद किया।

पर्सनल नोट पर अरुण जेटली यूं याद की सालों पुरानी अपनी दोस्ती

बुधवार को केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने ट्विटर पर आपातकाल के दौरान उन्हें और रजत शर्मा, चेयरमैन इंडिया टीवी को लिखे अरुण जेटली के एक पत्र को शेयर किया है। इसी पत्र को संज्ञान में लेते हुए अरुण जेटली ने उन्हें धन्यवाद देते हुए लिखा है, ''केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने आज एक पत्र ट्वीट किया है जो मैंने उन्हें और रजत शर्मा, चेयरमैन इंडिया टीवी को आपातकाल के दौरान लिखा था। ये दोनों आपातकाल के दौरान मेरे सबसे करीबी सहयोगी थे। 26 जून 1975 को आपातकाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने में भी इन दोनों ने मेरी मदद की थी। जब मैं गिरफ्तार हुआ तो मैंने दोनों से कहा था कि वें भूमिगत हो जाएं और 29 जून से शुरू हो रहे सत्याग्रह में हिस्सा लें। इस दौरान इन दोनों की हिम्मत अनुकरणीय थी। विजय गोयल तो आज भी मंत्रीमंडल में मेरे सहयोगी हैं वहीं रजतजी राजनीति को अलविदा कह पत्रकारिता में चले गए। आज वें देश के सबसे लोकप्रिय पत्रकार और एंकर्स में से एक हैं। दोनों आज भी मेरे बेहद करीबी दोस्त हैं, बिल्कुल मेरे परिवार की तरह''

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