Sunday, November 17, 2024
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अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट का दखल देने से इंकार, कहा-रातों रात हालात सामान्य नहीं हो सकते

जम्मू-कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इंकार कर दिया है और सरकार को हालात सामान्य होने के लिए वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रातों रात हालात सामन्य नहीं हो सकते। इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने बुरहान वानी वाली घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस घटना में 46 लोग मारे गए थे।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 13, 2019 16:35 IST
अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर में कठोर उपायों के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई- India TV Hindi
अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर में कठोर उपायों के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

नयी दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इंकार कर दिया है और सरकार को हालात सामान्य होने के लिए वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रातों रात हालात सामन्य नहीं हो सकते। इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने बुरहान वानी वाली घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस घटना में 46 लोग मारे गए थे। कश्मीर में इस वक्त हालात नाज़ुक हैं और कुछ लोग केवल एक मौके का इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से पूछा कि स्थिति को सामान्य होने में कितना समय लगेगा। अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि केंद्र रोज़ाना स्थिति का जायज़ा ले रही है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया था। 

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पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा था कि वह अनुच्छेद 370 के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं लेकिन वह चाहते हैं कि वहां से कर्फ्यू एवं पाबंदियां तथा फोन लाइन, इंटरनेट और समाचार चैनल अवरूद्ध करने सहित दूसरे कथित कठोर उपाय वापस लिये जायें। इसके अलावा, कांग्रेस कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जो इस समय हिरासत में हैं। 

इसके साथ ही उन्होंने जम्मू और कश्मीर की वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिये एक न्यायिक आयोग गठित करने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने याचिका में दावा किया है कि केन्द्र के फैसलों से संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है। 

याचिका के अनुसार समूचे राज्य की एक तरह से घेराबंद कर दी गयी है और दैनिक आधार पर सेना की संख्या में वृद्धि करके इसे एक छावनी में तब्दील कर दिया गया है जबकि संविधान संशोधन के खिलाफ वहां किसी प्रकार के संगठित या हिंसक विरोध के बारे में कोई खबर नहीं है। 

पूनावाला चाहते हैं कि शीर्ष अदालत केन्द्र और जम्मू कश्मीर से पूछे कि किस अधिकार से उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों, पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों, पूर्व विधायकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने सहित इतने कठोर कदम उठाये हैं?

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