नयी दिल्ली: पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को केंद्र द्वारा रद्द किये जाने के फैसले की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगा। निजी व्यक्तियों, वकीलों, कार्यकर्ताओं और नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस और माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारीगामी की याचिकाओं समेत अन्य याचिकाओं पर न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मंगलवार को सुनवाई करेगी।
इस पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी शामिल हैं। पीठ ने 14 नवंबर को याचिकाओं पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार करते हुए कहा था कि इससे मामलों में देरी हो सकती है और न्यायालय सभी पक्षों को सुनने के बाद एक ही बार में सभी मुद्दे सुलझाएगा। न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने सोमवार को सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन को मामले पर तैयारी के साथ आने को कहा था।
पीठ ने पक्षकारों से दस्तावेजों का साझा संकलन तैयार करने को कहा था जिससे इस मामले में सुनवाई आसान हो जाए। मेहता ने कहा कि प्रतिवेदन के लिये यद्यपि साझा संकलन तैयार है लेकिन सुनवाई के दौरान कोई नयी सामग्री आती है तब इसे आगे के चरणों में दायर किया जाएगा। इससे पहले शीर्ष अदालत ने केंद्र से दो नयी याचिकाओं पर जवाब देने को कहा था जिनमें अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किये जाने संबंधित मुद्दे उठाए गए थे।
अदालत ने पूर्व में अनुच्छेद 370 को रद्द किये जाने को चुनौती देने वाली नयी रिट याचिका दायर करने पर सावधिक प्रतिबंध (एम्बार्गो) लगाते हुए कहा था कि वह सिर्फ इन दो याचिकाओं को सुनेगा क्योंकि इनमें कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं। इन दो नयी याचिकाओं के अलावा उच्चतम न्यायालय के समक्ष कई दूसरी संबंधित याचिकाएं लंबित हैं। केंद्र सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को रद्द कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने की घोषणा की थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से याचिका लोकसभा सांसद मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने दायर की है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त)मसूदी ने 2015 में कहा था कि अनुच्छेद 370 संविधान का एक स्थायी प्रावधान है।