हैदराबाद: थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को कहा कि सेना में दुभाषिए और साइबर विशेषज्ञों जैसी गैर लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ाई जाएगी। रावत ने शहर के बाहरी इलाके डुंडीगल स्थित वायुसेना अकादमी में संयुक्त स्नातक परेड से इतर कहा कि सेना पुलिस में महिलाओं की भर्ती पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम कह रहे हैं कि हम संख्या बढ़ाने जा रहे हैं। महिलाएं पहले से ही सेना में हैं। अब हम धीरे-धीरे उन्हें अन्य कैडरों में भी लेने जा रहे हैं। हम भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की संख्या बढ़ा रहे हैं।
रावत ने इस संबंध में एक सवाल के जवाब में कहा कि सेना में महिलाएं विधि और शिक्षा क्षेत्रों में पहले से ही हैं। सेना दुभाषिए, साइबर विशेषज्ञ, सूचना युद्धक्षेत्र और लेखा तथा लेखा परीक्षण क्षेत्रों में लोग चाहती है। थलसेना प्रमुख ने कहा कि मैं सेना पुलिस में भी महिला जवान चाहता हूं। सैन्य पुलिस सेवा में सैनिक के रूप में महिलाओं की भर्ती और फिर इसके बाद देखा जाएगा कि क्या भूमिका विस्तार की कोई गुंजाइश है। पिछले महीने के शुरू में पुणे में नेशनल डिफेंस एकेडमी में 135वें पाठ्यक्रम की पासिंग आउट परेड से इतर थलसेना प्रमुख ने कहा था कि सेना अभी लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाओं को लेने के लिए तैयार नहीं है।
रावत ने यहां सेवाओं में शामिल हुए युवा अधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई कि वे रक्षाबल को गौरवशाली बनाएंगे। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि वायुसेना गगन को हमेशा और हर समय गर्व के साथ स्पर्श करती रहेगी।इससे पहले परेड में अपने संबोधन में उन्होंने स्नातक कैडेटों में शामिल 24 महिलाओं का जिक्र किया और कहा कि इतनी संख्या में उन्हें सेवा में शामिल होते देखना खुशी देने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारे महान देश की सशक्त महिलाओं के रूप में आप प्रतिष्ठित सशस्त्र बलों की सदस्य बन रही हैं जिससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी। थलसेना प्रमुख ने स्नातक हुए अधिकारियों से कहा कि आज के युग के युद्धक्षेत्र में प्रौद्योगिकी के लिहाज से माहिर वायुसैनिकों, नाविकों और सैनिकों की आवश्यकता है।
स्नातक अधिकारियों में लड़ाकू पायलट प्रिया शर्मा भी शामिल थीं जो भारतीय वायुसेना की सातवीं महिला लड़ाकू पायलट और राजस्थान के झुंझुनू जिले से ताल्लुक रखने वाली तीसरी महिला लड़ाकू पायलट हैं। युवा पायलट ने अपने बचपन के दिनों, जब उनके पिता कर्नाटक के बीदर स्थित वायुसेना स्टेशन में पदस्थ थे, को याद करते हुए कहा कि वह बचपन में आकाश में जगुआर और हॉक विमानों को उड़ान भरते देख पायलट बनने के लिए प्रेरित हुईं। उन्होंने कहा कि खुद को विभिन्न कॉकपिट के अनुरूप ढालना और विमान बदलना (प्रशिक्षण के दौरान), शुरू में थाड़ा मुश्किल था, लेकिन मैं इसकी अभ्यस्त हो गई...उड़ान भरना शानदार होता है।