Saturday, December 21, 2024
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लद्दाख गतिरोध के दौरान चीन और पाकिस्तान की ‘साठगांठ’ पर आया सेना प्रमुख का बड़ा बयान, जानें क्या कहा

थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बुधवार को कहा कि पैगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने से अंतिम परिणाम बहुत अच्छा रहा और दोनों पक्षों के लिए यह लाभकारी स्थिति है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में अन्य लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भी रणनीति बनायी गयी है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : February 24, 2021 23:43 IST
Army Chief on overt collusion between China and Pakistan during Ladakh standoff
Image Source : PTI थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में अन्य लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भी रणनीति बनायी गयी है।

नयी दिल्ली: थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बुधवार को कहा कि पैगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने से अंतिम परिणाम बहुत अच्छा रहा और दोनों पक्षों के लिए यह लाभकारी स्थिति है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में अन्य लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भी रणनीति बनायी गयी है। उन्होंने कहा कि लद्दाख गतिरोध के दौरान चीन और पाकिस्तान के बीच ‘साठगांठ’ के कोई संकेत नहीं मिले लेकिन भारत ने केवल दो को ध्यान में रख कर नहीं बल्कि ढाई मोर्चे के लिए दूरगामी योजना बना रखी है। वह आधे मोर्चे का हवाला आंतरिक सुरक्षा के लिए दे रहे थे। उन्होंने कहा कि गतिरोध की शुरुआत से ही भारत की तरफ से सभी पक्षों ने मिलकर काम किया।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्तर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्षों से वार्ता की। नरवणे ने ‘विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा, ‘‘हम सब साथ हैं। हमने वह योजना तैयार की जिस पर हमने चर्चा की थी कि कैसे आगे बढ़ना चाहिए। जो भी योजना बनायी गयी थी, उसके नतीजे मिले हैं। अब तक हमने जो भी हासिल किया वह बहुत अच्छा है।’’ थल सेना प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की सलाह भी बहुत महत्वपूर्ण रही और रणनीतिक स्तर पर उनके दृष्टिकोण से हमें अपने कदम उठाने में निश्चित तौर पर मदद मिली।

उन्होंने कहा, ‘‘इस समग्र दृष्टिकोण से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई। मुझे लगता है कि अंतिम परिणाम बहुत अच्छा रहा। यह दोनों के लिए लाभदायक स्थिति है। किसी भी टिकाऊ समझौते के लिए दोनों पक्षों को लगना चाहिए कि उन्होंने कुछ हासिल किया है। मुझे लगता है कि 10 दौर की वार्ता के अच्छे परिणाम मिले हैं।’’ पिछले सप्ताह दोनों देशों की सेनाओं ने ऊंचाई वाले क्षेत्र में स्थित पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों और हथियारों को पीछे ले जाने की प्रक्रिया संपन्न की।

नरवणे ने कहा कि पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में देपसांग इलाके में, उत्तरी सीमा से लगे अन्य क्षेत्रों में कुछ मुद्दे बाकी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उसके लिए हमारे पास रणनीति है। क्या हमारे पास भविष्य में बातचीत करने के लिए कुछ भी है। हां, निश्चित तौर पर। लेकिन वह रणनीति क्या होगी और समझौते पर क्या प्रगति होगी, यह देखना होगा।’’

बता दें कि फरवरी के मध्य में पूर्वी लद्दाख में पैगोंग झील के पास एलएसी पर भारत और चीन के बीच करीब नौ महीने तक चला तनाव कम होने लगा है। खबरों के मुताबिक दोनों देशों के बीच समझौता होने के महज दो दिन के अंदर चीन ने 200 से अधिक टैंक हटा लिए। दोनों देशों का फोकस अब सीमा पर अन्य इलाकों में जारी तनाव को खत्म करने पर है। चीन के साथ तनाव के मसले पर राज्यसभा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि चीनी सेना फिंगर आठ से पीछे हटने को तैयार हो गई है। भारतीय और चीनी सैनिकों का प्रारंभिक विघटन पैंगोग झील तक सीमित है और दोनों सेनाओं को अपनी असल तैनाती पर वापस आने में दो हफ्ते का समय लग सकता है।

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