लेह (लद्दाख): सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने अपने लद्दाख दौरे के दूसरे दिन फॉरवर्ड एरिया (भारत-चीन LAC) का किया। यहां फॉरवर्ड लोकेशन पर पहुंचकर उन्होंने भारतीय सेना और ITBP के जवानों का मनोबल बढ़ाया और साथ में सिक्योरिटी रिव्यू मीटिंग भी की। इस दौरान उनके साथ 14कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भी रहे। इससे पहले मंगलवार को भी उन्होंने पूर्वी लद्दाख में सेना की तैयारियों का जायजा लिया।
बता दें कि सेना प्रमुख मंगलवार को हालातों का जायजा लेने के लिए दो दिवसीय लद्दाख दौरे पर आए थे। सेना के अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को लेह पहुंचने के तुरंत बाद जनरल नरवणे ने सेना के अस्पताल का दौरा किया, जहां 15 जून को गलवान घाटी में घायल हुए 18 सैनिकों का उपचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख ने लगभग सभी घायल सैनिकों से बातचीत की और बहादुरी के लिए उनकी प्रशंसा की। अस्पताल का दौरा करने के बाद नरवणे ने सेना के दूसरे अधिकारियों के साथ बातचीत की।
उन्होंने नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी, 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि समझा जाता है कि उन्होंने चीन की तरफ से किसी भी तरह के दु:साहस से निपटने के लिए उन्हें सतर्क रहने के निर्देश दिए। जनरल नरवणे ने लद्दाख से सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल से भी बातचीत की।
बता दें कि गलवान में 15 जून को संघर्ष होने के बाद सीमा पर स्थिति और खराब हो गई और दोनों पक्षों ने 3500 किलोमीटर लंबी सीमा के पास अधिकतर स्थानों पर तैनाती बढ़ा दी। सरकार ने रविवार को सशस्त्र बलों को ‘‘पूरी छूट’’ दे दी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीनी सैनिकों के किसी भी दु:साहस का ‘‘करारा’’ जवाब दें। सेना पिछले एक हफ्ते में सीमा के पास हजारों अतिरिक्त सैनिकों को भेज चुकी है।
संघर्ष के बाद भारतीय वायु सेना भी लेह और श्रीनगर सहित कई मुख्य हवाई अड्डों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 विमान और अपाचे हेलीकॉप्टर तैनात कर चुकी है। पूर्वी लद्दाख में पांच और छह मई को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद से स्थिति खराब हो गई। उत्तर सिक्किम में नौ मई को इसी तरह की घटना के बाद पैंगोंग सो में भी हिंसक झड़प की घटना सामने आई।
संघर्ष से पहले दोनों पक्ष इस बात पर सहमति जताते रहे थे कि सीमा मुद्दे का अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है।
(इनपुट- भाषा)