नयी दिल्ली: ड्रैगन की चालबाजियों के बीच सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में चीन के साथ लगी सीमा के पास भारत की ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा के करीब एक रणनीतिक राजमार्ग का निर्माण पूरा किया है। चीन ने इस राजमार्ग का निर्माण यारलुंग जांगबो ग्रैंड कैनियन के बीच से होकर किया है जिसे दुनिया की सबसे गहरी खाई के रूप में जाना जाता है और जिसकी अधिकतम गहराई 6009 मीटर है। चीन ने इस राजमार्ग का निर्माण 31 करोड़ डॉलर की कीमत से किया है।
जनरल नरवणे बृहस्पतिवार से पूर्वोत्तर क्षेत्र के दो दिन के दौरे पर हैं। क्षेत्र में उनका दौरा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ स्थानों पर चीनी सेना के साथ भारतीय सेना के जारी गतिरोध के बीच हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में उत्तरी सीमा के पास ऑपरेशनल तैयारियों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के आंतरिक इलाकों में सुरक्षा स्थिति का जायजा लेने के लिए जनरल नरवणे बृहस्पतिवार को नगालैंड के दिमापुर पहुंचे।
सेना ने कहा, ‘‘दिमापुर में सेना मुख्यालय में आगमन पर, सेना प्रमुख को लेफ्टिनेंट जनरल, जनरल ऑफिसर कमांडिंग ऑफ स्पियर कोर तथा डिविजन कमांडरों ने उत्तरी सीमा के पास मौजूदा स्थिति एवं अभियान संबंधी तैयारियों से अवगत कराया।” सेना ने कहा कि सेना प्रमुख ने उत्कृष्ट निगरानी के लिए सभी सैनिकों की सराहना की और उनसे चौकन्ना रहने तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आस-पास गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कहा।
जनरल नरवणे ने उत्तर पूर्व के आंतरिक क्षेत्र में और भारत-म्यांमा सीमाओं के पास सुरक्षा परिदृश्य की भी समीक्षा की और सभी जवानों का इसी उत्साह के साथ काम करते रहने का आह्वान किया। बुधवार को, जनरल नरवणे ने कहा था कि सेना समूचे उत्तरी मोर्चे पर लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक मौजूदगी बढ़ा कर रखेगी जब तक तनाव कम न हो जाए।
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर, सेना ने पिछले साल करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर सभी संवेदनशील इलाकों में सैनिकों की तैनाती महत्वपूर्ण ढंग से बढ़ा दी थी। भारतीय वायुसेना ने भी अरुणाचल सेक्टर में एलएसी के पास हवाई क्षेत्र की निगरानी करने वाले प्रमुख अड्डों में अतिरिक्त लड़ाकू विमानों एवं हमला कर सकने वाले हेलिकॉप्टर तैनात कर दिए थे।
भारत और चीन में पिछले साल मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में कई टकराव स्थलों पर सैन्य गतिरोध जारी है लेकिन कई दौर की सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ताओं के बाद फरवरी में उन्होंने पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों से सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटाने का काम पूरा कर लिया है। दोनों पक्ष अब शेष बचे टकराव के स्थानों से पीछे हटने की कार्रवाई बढ़ाने के लिए बात कर रहे हैं।
टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की पूरी तरह वापसी की दिशा में कोई प्रगति नहीं दिख रही और चीनी पक्ष ने 9 अप्रैल को भारतीय सेना के साथ सैन्य वार्ता के 11वें दौर में अपने प्रयासों में कोई लचीलापन नहीं दिखाया था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा था कि भारत और चीन के बीच संबंध दोराहे पर खड़े हैं और इनकी दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि पड़ोसी देश सीमा पर अमन-चैन बनाकर रखने से संबंधित अनेक समझौतों का पालन करता है या नहीं।
ये भी पढ़ें
- तीन सौ से अधिक लोगों का अंतिम संस्कार करने वाला व्यक्ति कोरोना से जंग हारा
- कोरोना ने बरपाया कहर, अब तक जान गंवा चुके हैं 740 से ज्यादा डॉक्टर्स
- कोरोना मरीज के जाने के बाद 2 से 3 घंटे बाद तक भी हवा में रहता है वायरस, तीन सेंट्रल लैब ने चेताया
- सिलेब्रिटी, नेता कैसे खरीद रहे कोविड-19 रोधी दवाएं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकारा