अमेरिकी सेना ने पहले इराक के खिलाफ ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म और बाद में कुवैत पर हमले के लिए अपाचे हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था। ये हेलिकॉप्टर रेगिस्तान और अर्ध-रेगिस्तानी इलाकों में टैंक और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों की मदद से होने वाले ऑपरेशंस की मारक क्षमता को और बढ़ा देते हैं। ऐसी जमीनी लड़ाइयों की स्थिति में भारतीय टैंकों के आगे बढ़ने से पहले अपाचे की मदद से बड़े पैमाने पर दुश्मनों के टैंकों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
अपनी तेज गतिशीलता की वजह से अपाचे दुश्मनों के टैंकों पर ऊंचाई से हमला कर सकते हैं। अपाचे अपनी फेमस हेलफायर मिसाइलों की मदद से शत्रु टैंकों की रेंज के बाहर से भी हमला करने में सक्षम है। हेलफायर मिसाइल का पेलोड इतने उच्च विस्फोटक से युक्त होता है कि शत्रु के बड़े से बड़े टैंक को नष्ट कर सकता है। इस मामले के एक विशेषज्ञ ने बताया कि टैंकों की टैंक से लड़ाई की तुलना में अपाचे हेलिकॉप्टर दुश्मनों के टैंकों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
अपाचे में फिट सेंसर की मदद से यह अपने दुश्मनों को आसानी से तलाश कर उन्हें खत्म कर सकता है। साथ ही इसमें नाइट विजन सिस्टम भी इंस्टॉल हैं। इसमें 30 मिलिमीटर की एक एम230 चेन गन को मेन लैंडिंग गियर के बीच इंस्टॉल किया गया है और यह हेलीकॉप्टर की स्ट्राइकिंग कैपेसिटी को दोगुना करती है। अपाचे हेलीकॉप्टर में एजीएम-114 हेलीफायर मिसाइल लगे हैं, तो हाइड्रा 70 रॉकेट पॉड्स भी लगे हैं। अमेरिका ने इन हेलीकॉप्टरों का इराक और अफगानिस्तान में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है।
ये हेलीकॉप्टर 293 किमी प्रतिघंटे की हिसाब से उड़ सकता है। अपाचे की पूरी लंबाई 18 मीटर है, जिसमें दो पंख लगे हैं। अपाचे हेलीकॉप्टर में टर्बोसाफ्ट इंजन लगे हैं। इसका वजन 5,165 किलो है। जिसमें 2 सीटें हैं। अपाचे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह वॉर जोन में लड़ाई के समय जरा भी फेल न हो। अपाचे दुनिया के उन चुनिंदा हेलीकॉप्टर में शामिल है जो किसी भी मौसम या किसी भी स्थिति में दुश्मन पर हमला कर सकता है।