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कमलनाथ की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, सिख विरोधी दंगों के गवाह ने दर्ज कराया बयान

सिख विरोधी दंगों से संबंधित मामले में गवाह मुख्तियार सिंह अपना बयान दर्ज कराने के लिए सोमवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष पेश हुए। इससे 1984 के दंगों के आरोपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

Reported by: IANS
Published on: September 23, 2019 20:27 IST
Madhya Pradesh CM Kamal Nath- India TV Hindi
Madhya Pradesh CM Kamal Nath

नई दिल्ली: सिख विरोधी दंगों से संबंधित मामले में गवाह मुख्तियार सिंह अपना बयान दर्ज कराने के लिए सोमवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष पेश हुए। इससे 1984 के दंगों के आरोपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सिंह दक्षिणी दिल्ली के खान मार्केट स्थित एसआईटी कार्यालय पहुंचे और जांच अधिकारियों को दंगे से संबंधित घटनाओं की जानकारी दी। यह पहली बार था, जब सिंह तीन सदस्यीय एसआईटी टीम के सामने अपना बयान दर्ज करने के लिए उपस्थित हुए।

कार्यालय से बाहर आने के बाद सिंह ने कहा कि वह यह नहीं बता सकते कि उन्होंने एसआईटी को क्या बताया है, क्योंकि फिलहाल मामले की जांच चल रही है। सूत्रों के अनुसार, सिंह ने अपना बयान एसआईटी सदस्यों के समक्ष दिया। एसआईटी में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, एक पुलिस उपायुक्त और एक सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शामिल हैं। यह मामला एक नवंबर, 1984 को रकाबगंज गुरुद्वारे में भीड़ द्वारा सिखों की हत्या से संबंधित है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नौ सितंबर को इस मामले को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को हुई हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की कथित भूमिका की अब नए सिरे से जांच हो रही है।

कमलनाथ शुरू में इस मामले के आरोपी थे, लेकिन अदालत को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था। अब गांधी परिवार के वफादार माने जाने वाले 72 वर्षीय कांग्रेस नेता के लिए फिर से परेशानी खड़ी हो गई है। क्योंकि लंदन के पत्रकार संजय सूरी ने भी मामले से संबंधित एक खुलासा करने की इच्छा जताई है। सूरी ने 15 सितंबर को एसआईटी को पत्र लिखा था कि वह उसे पेश होने के लिए उचित समय और तारीख बताएं।

सूरी के इस पत्र को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता मनजिंदर सिरसा ने ट्विटर पर साझा किया। अब एसआईटी की ओर से कमलनाथ के खिलाफ नए सिरे से सबूतों पर विचार करने की संभावना है, जिसमें कथित तौर पर उल्लेख किया गया है कि उन्होंने 1984 के दंगों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के रकाबगंज गुरुद्वारा के पास भीड़ को उकसाया था।

मोदी सरकार ने 1984 के दंगों की जांच के लिए 2015 में एसआईटी का गठन किया था। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने के बाद पिछले साल से ही कमलनाथ की भी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। कुमार पर 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख समुदाय के खिलाफ भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया गया था।

दंगे से संबंधित मामले में उस समय के कांग्रेस नेता एच. के. एल. भगत और जगदीश टाइटलर के साथ ही कमलनाथ का भी नाम सामने आया था।

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