नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली में लैंड पॉलिसी लागू करने के लिए करीब 95 गांवों को डिवलपमेंट एरिया घोषित करने का निर्णय लिया है। इसी संदर्भ में अनिल बैजल ने नोटिस भी जारी किया है। इस पॉलिसी के तहत अपने घरों का सपना लिए गावों की ज़मीन पर रहने वाले लोगों को सस्ती किमतों पर घर दिए जाएंगे। जिसके अंतर्गत गांवों की इन ज़मीनों पर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
अपनी हाउसिंग स्कीम लॉन्च करने के बाद अब डीडीए ने इन क्षेत्रों में विकास के लिए भी एक कदम आगे बढ़ाया है। लैंड पॉलिसी की इस निती के तहत डीडीए ने इन क्षेत्रों के विकास का जिम्मा अपने सर लिया है। इस पॉलिसी के प्रेस रिलीज़ के दौरान यह भी बताया गया कि इन 95 गांवों के विकास के बाद यहां लोगों को करीब 25 लाख फ्लैट सस्ती किमतों पर दिए जाएंगे। डीडीए की इस निती को एलजी अनिल बैजल ने दिल्ली विकास अधिनियम 1957 की धारा 12 के तहत मंजूरी दी है।
इन 95 गांवों में कुल पांच ज़ोन है, जिनमें ज़ोन के-1 में 20, ज़ोन एल में 30, ज़ोन एन में 21, ज़ोन पी2 में 23 और ज़ोन जे में एक गांव शामिल हैं। इसके बाद निजी क्षेत्र की भूमी का उपयोग उन सभी अन्य लोगों के लिए घर बनाने के रूप में किया जाएगा। विकास के नाम पर डीडीए इस क्षेत्र में सभी आधारभूत सुविधाओं की संरचना करेगा जैसे बीजली, पानी, सीवर, बस अड्डा आदि। एलजी ने पिछले ही महीने 89 गांवों के स्टेटस को ग्रामीण से बदल कर शहरी कर, इसकी शुरुआत कर दी है। यह सभी गांव अब एमसीडी के अंदर शामिल हैं।
डीडीए बनाएगा अलग डिपार्टमेंट
सूत्रों के मुताबिक इस लैंड पॉलिसी को लागू करने में अभी भी छह महीने का समय लग सकता है। लेकिन अगर इसमें लापरवाही बरती गई तो यह समय 1 साल का भी हो सकता है। कहा जा रहा है कि इसी लैंड पॉलिसी के लिए डीडीए अलग से डिपार्टमेंट भी तैयार कर रहा है। इस डिपार्टमेंट में सभी अधिकाकरियों की नियूक्ती की जाएगी। साथ ही गांवों की ज़मीन की अलग से पहचान के लिए, डीडीए इन सभी गांवों की ज़मीनो के खसरों का रिकॉर्ड भी रखेगी।
डीडीए की हाउसिंग स्कीम की तरह ही इस स्कीम के लिए भी लोग ऑनलाइन व ऑफलाइन आवेदन कर पाएंगे। कहा यह भी जा रहा है कि 2022 तक यह 25 लाख फेलैट दिल्ली के लोगों के लिए उपल्बध कराएं जा सकेंगे। इस पॉलिसी में दो तरह के डिपार्टमेंट होंगे जिसके अंतर्गत 50 एकड़ तक की ज़मीन के लिए अलग तो 50 एकड़ से ज्यादा की ज़मीन के लिए अलग सिस्टम होंगे।
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