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लोकपाल के लिए फिर आंदोलन करेंगे अन्ना हजारे, PM मोदी को लिखी 4 पेज की चिट्ठी

जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति की दिशा में कदम नहीं उठाने और किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए...

Edited by: India TV News Desk
Updated on: August 30, 2017 19:52 IST
anna hazare- India TV Hindi
anna hazare

नई दिल्ली: जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति की दिशा में कदम नहीं उठाने और किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए स्वामिनाथन समिति की रिपोर्ट पर अमल नहीं किए जाने का केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए दिल्ली में आंदोलन करने का निर्णय किया है।

अन्ना हजारे ने पीएम मोदी को लिखे 4 पेज के पत्र में कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखते हुए अगस्त 2011 में रामलीला मैदान और पूरे देश में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन को देखते हुए संसद ने सदन की भावना के अनुरूप प्रस्ताव पारित किया था जिसमें केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति के साथ सिटिजन चार्टर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जल्द से जल्द कानून बनाने का निर्णय किया गया था। इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के लिखित आश्वासन के बाद मैंने 28 अगस्त को अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था।

हजारे ने पत्र में कहा कि इस घटना के 6 वर्ष गुजर जाने के बाद भी भ्रष्टाचार को रोकने वाले एक भी कानून पर अमल नहीं हो पाया है। इससे व्यथित होकर मैं आपको (प्रधानमंत्री) पत्र लिख रहा हूं। पिछले तीन वर्षो में लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति के संबंध में अगस्त 2014, जनवरी 2015, जनवरी 2016, जनवरी 2017 और मार्च 2017 को हमने लगातार पत्राचार किया लेकिन आपकी तरफ से कार्रवाई के तौर पर कोई जवाब नहीं आया।

उन्होंने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून बनते समय संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की भूमिका निभा रहे आपकी पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस कानून को पूरा समर्थन दिया था। देश की जनता ने इसके बाद 2014 में बड़ी उम्मीद के साथ नई सरकार को चुना। आपने (प्रधानमंत्री मोदी) देश की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण की प्राथमिकता का आश्वासन दिया था। लेकिन आज भी जनता का काम पैसे दिए बिना नहीं हो रहा है। जनता के जीवन से जुड़े प्रश्नों पर भ्रष्टाचार बिल्कुल कम नहीं हुए हैं। लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अमल होने से 50 से 60 प्रतिशत भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है लेकिन इस पर अमल नहीं हो रहा है। तीन साल से नियुक्ति नहीं हो रही है।

अन्ना हजारे ने लिखा कि आश्चर्य की बात है कि जिन राज्यों में विपक्ष की सरकार है, वहां तो नहीं ही है, जहां आपकी पार्टी (भाजपा) की सरकार है, वहां भी लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अमल नहीं हुआ है। हजारे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है और देश में प्रतिदिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं। खेत पैदावारी में किसानों को लागत के आधार पर दाम मिले इस बारे में भी मैंने आपको पत्र लिखा। लेकिन इस बारे में कोई जवाब नहीं आया और स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

हजारे ने अपने पत्र में लिखा कि पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना समेत कई राज्यों में किसान संगठित होकर आंदोलन शुरू कर रहे हैं। लेकिन देश के दुखी किसानों के प्रति सरकार का संवेदना का भाव नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में कुछ ऐसे प्रावधान सामने आए है जिससे राजनीतिक दलों को कंपनियों की ओर से जितना चाहे दान मिल सकता है। अगर केंद्र सरकार को किसानों की चिंता है तब कानून में संशोधन करके यह प्रावधान किया जाए कि कंपनियां किसानों और गरीबों को दान दे।

उन्होंने लिखा कि अगर किसानों की समस्या का हल निकालना है तब स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट पर पूर्ण अमल हो, खेती पैदावारी को लागत के आधार पर दम मिले और किसानों एवं मजदूरों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाए। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाए। अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में जोर दिया कि उनकी विभिन्न मांगों पर पिछले तीन वर्षो में कोई ध्यान नहीं दिया गया है, ऐसे में उन्होंने दिल्ली में जनहित से जुड़े इन विषयों पर आंदोलन करने का निर्णय किया है।

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