लेखक: प्रशांत तिवारी
हमने तो किया था खुद को मोहब्बत की गलियों में आबाद,
सरेआम गला काट कर उन्होंने कर दिया हमें ‘आज़ाद’।
कभी-कभी जिंदगी में कुछ ऐसे वाकये देखने को मिल जाते हैं कि दिमाग हैरान और दिल सोचने पर मज़बूर हो जाता हैं। महीना है फरवरी का कुछ लोग इसे मोहब्बत का महीना कहते हैं, तो कुछ लोग कहते हैं कि इस महीने में देश की ‘संस्कृति’ को खतरा है के नारे लगाते हुए घूमते हैं। पर दुनिया भर की सारी मुसीबतों के बाद जब कुछ प्यार करने वाले सारी जिंदगी साथ जीने और मरने की चाहत लिए ‘सो कॉल्ड समाज’ में मंजूरी के लिए आते हैं, तो उनकी सिर्फ एक 'चाहत' को बड़ी शिद्दत से पूरा किया जाता है, और वो चाहत होती हैं साथ 'मरने' की। हां मैं वही कह रहा हूं जो आपने अभी पढ़ा, मार दिया जाता हैं उन्हें और इस क़त्ल को बड़ा ही खूबसूरत नाम भी दिया है 'ऑनर किलिंग'।
इस फर्जी सम्मान के चक्कर में ना जाने कितने प्यार करने वाले अपनी मोहब्बत की खातिर क़त्ल हो गए। पर सिर्फ फर्जी इज्जत के लिए प्यार करने वालों की हत्या करनेवालों में कोई कमी तक नहीं आई और ना ही प्यार करने वाले कम हुए, और कई कहानियां बनती गईं लैला-मजनू और सीरी-फरहाद जैसी। पर आज मुझे एक घटना ने लिखने के लिए मजबूर कर दिया। दिल्ली में 23 साल के एक युवक अंकित, जो कि फोटोग्राफर था, की हत्या हो गई और हत्या की वजह भी मोहब्बत ही थी। लड़की के परिवारवालों के गले से अंकित की प्रेम कहानी नीचे नहीं उतरी तो उसका ही गला बड़ी बेरहमी से काटकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए कई लोगो को गिरफ्तार कर लिया है, और सुरक्षा के नज़रिये से उस इलाके में फ़ोर्स भी तैनात कर दी गई है। दरअसल, अब आपको बताना ज़रूरी है कि अंकित और उसकी प्रेमिका अलग-अलग मज़हब के थे।
और इस वक़्त ये मुद्दा सोशल मीडिया पर चर्चा और राजनीति का सबसे बड़ा विषय बन चुका है। पर दुःख इस बात का है कि जिस बात पर चर्चा होनी चाहिए थी उन बातों को दरकिनार करके अपने मन की चर्चाएं चारो तरफ होती दिखाई दे रही हैं। आज जब मैंने किसी से पूछा कि अंकित की हत्या किसने की, तो सामने से जवाब आया कि उस 'मज़हब' के लोगों ने मारा। बिल्कुल इसी तरह पूरे हिंदुस्तान में ये बातें फैली हुई हैं, जबकि वास्तविकता ये है कि ये मामला ऑनर किलिंग का है। पर इसे मज़हबी चोला पहना कर एक समुदाय के खिलाफ राजनितिक रोटियां सेकी जानीं शुरू हो गई हैं और ऐसे ही हर वारदात पर दोनों तरफ से लोगों को एक-दूसरे के कानों में साम्प्रदायिकता का ज़हर घोला जा रहा हैं। जो कभी एक-दूसरे दोस्त और साथी हुआ करते थे आज उनमें दरार डाली जा रही है और ये हमारे हिंदुस्तान के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। क्योंकि यहां गुनाहों को जिस तरह मज़हबी रंग देकर बेचा जा रहा है उससे देश की अखंडता को चोट पहुंच रही है।
अगर भविष्य में कहीं और कभी भी दंगे हुए तो उसके लिए प्रशासन और सरकार के साथ बराबर के ज़िम्मेदार हम आप भी होंगे क्योंकि हमने भी हर घटना पर बिना सोचे समझे कमेंट और शेयर की आहुति जो डाली है, जो भविष्य में किम जोंग उन से भी ज़्यादा खतरनाक साबित होगी। और मुझे दुःख है कि अंकित के लिए हो रही लड़ाई के नाम पर हम और क़त्ल की वकालत करते जा रहे हैं। हम बात नहीं कर रहे हैं कि अंकित के मरने की जायज वजह क्या थी? हमने बात नहीं की कि आखिर हम और समाज 'इज्जत' के नाम पर मोहब्बत का क़त्ल कब तक करते रहेंगे। हमने वकालत नहीं की, उस लड़की की जो सिर्फ अपने प्यार के खातिर अपने परिवार और यहां तक कि अपने मज़हब तक की परवाह नहीं की। इतना ही कहना चाहूंगा हिंदुस्तान की आवाम से कि अंकित सक्सेना की मौत की वजह उसका किसी और धर्म का होना नहीं सिर्फ उसकी मोहब्बत थी।
उसके कातिल भले ही पकड़ लिए गए हों पर हम समझ नहीं रहे हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में अभी और 'अंकित' हैं जो मोहब्बत में शहीद होंगे। और शायद तब भी हम बिना समझे मज़हबी नफरत कि फसल बोते और काटते रहेंगे। इसलिए मैं गुज़ारिश करता हूं कि अंकित के बेरहम कातिलों को ऐसी सज़ा दी जाए कि इस तरह की निहायती घटिया सोच और कांड करने वालो की रूह तक कांप उठे, और सभी हिन्दुस्तानियों से सिर्फ इतनी ही अपील करूंगा की किसी को अपना फायदा न उठाने दें। अंत में मोहब्बत करने वालों को सिर्फ एक छोटी सी नसीहत दूंगा की वेलेंटाइन डे आने वाला है, ज़रा संभल कर। कहीं आप भी 'अंकित' ना बन जाएं और ज़माना आपके नाम पर अपने मतलब कि रोटियां सेंकना ना शुरू कर दे।
(इस ब्लॉग के लेखक युवा पत्रकार प्रशांत तिवारी हैं)