इंदौर: मध्य प्रदेश में 21 वर्षीय महिला ने यह आरोप लगाते हुए पुलिस का दरवाजा खटखटाया है कि उसकी एक साल की बीमार बच्ची के देर रात रोने से नींद में खलल पड़ने पर शौहर ने उसे तीन तलाक देकर घर से बाहर निकाल दिया है। पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि बड़वानी जिले के सेंधवा कस्बे में मायके में रह रही उज्मा अंसारी (21) ने अपने इंदौर निवासी पति अकबर और ससुराल वालों के खिलाफ इस आशय की शिकायत की है। उज्मा और अकबर (25) की शादी दो साल पहले हुई थी।
‘बीमार बेटी को पलंग से नीचे फेंका’
विवाहिता ने सेंधवा के पुलिस थाने में दर्ज शिकायत में कहा, ‘मेरी बच्ची की तबीयत 4 अगस्त को ठीक नहीं थी। वह रात में उठकर रोने लगी। इससे मेरे पति की नींद खुल गई। वह मुझे बच्ची को मार डालने को कहने लगे। इस बात पर हम दोनों की बहस सुनकर मेरे ससुर और जेठ हमारे कमरे में आ गए। फिर इन सभी ने मेरे साथ मारपीट की तथा मेरी बेटी को पलंग से नीचे फेंक दिया। मेरे पति ने इन सबकी उपस्थिति में तीन बार तलाक बोल दिया और मेरी मां को फोन कर कहा कि वह मुझे ले जायें। मुझे और मेरी बच्ची को घर से बाहर निकाल दिया गया।’
दहेज प्रताड़ना समेत कई गंभीर आरोप लगाए
21 वर्षीय महिला ने शिकायत में अपने पति और ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना और बेटी पैदा होने पर मारपीट करने के आरोप भी लगाए हैं। बड़वानी के पुलिस अधीक्षक डीआर टेनीवार ने बताया, ‘चूंकि महिला के आरोपों से जुड़ा तमाम घटनाक्रम इंदौर का है। इसलिये हमने उसकी शिकायत को जांच के लिए इंदौर पुलिस को भेज दिया है।’ उधर, इंदौर के रावजी बाजार पुलिस थाने के प्रभारी सुनील गुप्ता ने कहा, ’महिला की शिकायत हालांकि हमारे पास अब तक नहीं पहुंची है। लेकिन हम उससे संपर्क कर मामले की वस्तुस्थिति जांचेंगे। इसके आधार पर उचित कदम उठायेंगे।’
नहीं मिल सकी है पति की प्रतिक्रिया
महिला के आरोपों पर उसके पति की प्रतिक्रिया फिलहाल नहीं मिल सकी है। गौरतलब है कि ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ के जरिए एक साथ 3 बार तलाक बोलकर वैवाहिक संबंध खत्म करने की प्रथा पर वैधानिक रोक लगाई गई है। यह विधेयक पिछले महीने संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी से कानून में तब्दील हो चुका है। इस कानून में मुजरिम के लिए 3 साल तक के कारावास का प्रावधान है।