अमरावती: आंध्र प्रदेश में साल 2018 में राजनीतिक गहमागहमी के बीच, सत्तारूढ़ TDP ने BJP से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस से नजदीकी बढ़ाते हुए इस बात को सही साबित करने लगी कि राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता। 36 साल पुरानी TDP के इतिहास में नया अध्याय जोड़ते हुए TDP प्रमुख और मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस के लिए अपनी नाराजगी खत्म कर दी और 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को सत्ता से बेदखल करने के लिए कमर कस ली।
NDA से अलग हुई TDP
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही TDP ने मार्च 2018 में BJP की अगुवाई वाले गठबंधन NDA से खुद को अलग कर लिया। नायडू ने जहां केंद्र पर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा पूरा न करने का आरोप लगाया, वहीं, केंद्र ने तर्क दिया कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देना संवैधानिक रूप से संभव नहीं है।
गुस्साए नायडू ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया जो गिर गया। फिर नायडू ये कहते हुए NDA से अलग हो गए कि तेलगू देशम पार्टी का गठन ही तेलगू लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया था, न कि कांग्रेस विरोधी दल के तौर पर इसका गठन हुआ था।
YSR कांग्रेस Vs TDP
वाईएसआर कांग्रेस ने नायडू के इस कदम को सत्ता में रहने की एक कवायद करार दिया, वहीं TDP ने अपनी इस प्रतिद्वन्द्वी पार्टी पर BJP के साथ गोपनीय समझौता करने का आरोप लगाया। बता दें कि राज्य में अगले साल की शुरूआत में विधानसभा चुनाव होंगे और फिर लोकसभा चुनाव होंगे। जिसे देखते हुए नायडू सत्ता विरोधी लहर से पार पाने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर वे गैर BJP दलों को एकजुट करने में लगे हैं। इस कोशिश में वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, जदएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा और द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन से मिल चुके हैं।
TDP और कांग्रेस का गठबंधन?
हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि क्या राज्य में चुनाव के लिए TDP और कांग्रेस गठबंधन करेंगे। पड़ोसी राज्य तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए इन दोनों दलों का गठबंधन नाकाम साबित हुआ। हालांकि, TDP पोलित ब्यूरो सदस्य और राज्य के वित्त मंत्री यनमाला रामकृष्णुडू कहते हैं ‘‘राज्य की राजनीति और राष्ट्रीय राजनीति अलग-अलग होती है।’’
राज्य व्यापी मार्च निकालने की तैयारी में YSR कांग्रेस
विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस अपने नेता वाई एस जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में राज्य व्यापी मार्च निकालने की तैयारी में हैं। वहीं दूसरी ओर, तेलगू फिल्मों के सितारे के पवन कल्याण ने अपना फिल्मी करियर छोड़ कर राजनीतिक सफर शुरू किया और अब TDP को चुनौती देने की कोशिश में हैं।
लोगों ने महसूस किया माओवादी आतंक
राज्य में पूरे साल माओवादी आतंक लोगों ने महसूस किया। बंदूकधारियों ने अरकू घाटी में एक विधायक सहित दो TDP नेताओं की गोली मार कर हत्या कर दी। अनुसूचित जनजाति से संबद्ध, अरकू के विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और उनके पूर्ववर्ती सिवेरी सोमा को विशाखापट्नम जिले के लिप्पीतुपुत्ता गांव में उग्रवादियों ने 23 सितंबर को मार डाला था।
पेठारी चक्रवात का कहर
राज्य के तटीय हिस्से में 17 दिसंबर को पेठारी चक्रवात का कहर टूटा। लेकिन तब तक 20,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका था इसलिए जनहानि बहुत ही कम हुई। हालांकि, गोदावरी जिला कुछ प्रभावित हुआ। कुछ ही सप्ताह पहले राज्य ने गज तूफान देखा जिसने आंध्र प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी तमिलनाडु को भी गहरा नुकसान पहुंचाया था।
उच्च न्यायालय का गठन
विभाजन के चार साल बाद, इस साल के आखिर में राज्य की आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के गठन की मांग उस समय पूरी हो गई जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की। ये उच्च न्यायालय एक जनवरी 2019 से काम करने लगेगा।