अमरावती: आंध्र प्रदेश और ओडिशा ने मंगलवार को वामपंथी उग्रवाद और गांजा की खेती की समस्या से निपटने सहित विभिन्न अंतर्राज्यीय मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर काम करने का निर्णय किया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मंगलवार शाम को भुवनेश्वर में दो घंटे की लंबी बैठक के बाद इस संबंध में संयुक्त बयान जारी किया। दोनों मुख्यमंत्रियों ने जल संसाधन, साझा सीमा, ऊर्जा और वामपंथी उग्रवाद के क्षेत्र समेत आपसी हित के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
मुख्यमंत्रियों ने बैठक को ‘‘बहुत ही सौहार्दपूर्ण और सार्थक’’ बताते हुए कहा कि उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर एक साथ काम करने का निर्णय किया है, जिसमें विवादास्पद कोटिया सीमावर्ती गांवों के मुद्दे का समाधान करने, वामसाधारा नदी पर नेराडी बांध का निर्माण, जंझावती जलाशय, बहुदा नदी से पानी छोड़ने, पोलावरम बहुउद्देशीय मुद्दे तथा बालीमेला और अपर सिलेरू बिजली परियोजनाओं के लिए पारस्परिक अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना शमिल है।
बयान में कहा गया है कि दोनों राज्यों ने वामपंथी उग्रवाद और गांजे की खेती से निपटने के लिए एक दूसरे को समर्थन देने का भी संकल्प लिया। दोनों पड़ोसी राज्यों ने ‘‘आपसी सहयोग की विरासत को जारी रखने और संघवाद की सच्ची भावना में मुद्दों पर चर्चा करने’’ का भी संकल्प लिया।
जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘मुख्यमंत्रियों ने फैसला किया है कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव शेष मसलों पर विचार-विमर्श करने और ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश के लोगों के हित में समाधान खोजने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करेंगे।’’
बताया गया कि दोनों राज्य बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय (श्रीकाकुलम में) और बेरहामपुर विश्वविद्यालय में उड़िया तथा तेलुगु भाषाओं के विभाग स्थापित करने की दिशा में भी काम करेंगे।
(भाषा)