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दिल्ली अग्निकांड मामले की जांच हुई तेज, पुलिस ने घटनास्थल से जुटाए साक्ष्य

उत्तरी दिल्ली की एक फैक्टरी में आग लग जाने से मारे गये लोगों के शवों को घर ले जाने के लिए सोमवार को उनके रिश्तेदारों की यहां मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मुर्दाघर के बाहर भीड़ लगी रही।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 09, 2019 22:16 IST
Anaj Mandi- India TV Hindi
Image Source : PTI Anaj Mandi: Police conduct 3D laser scan of building to recreate scene; FSL collects evidence (File Photo)

नयी दिल्ली: उत्तरी दिल्ली की एक फैक्टरी में आग लग जाने से मारे गये लोगों के शवों को घर ले जाने के लिए सोमवार को उनके रिश्तेदारों की यहां मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मुर्दाघर के बाहर भीड़ लगी रही। वहीं, मामले की पुलिस जांच ने गति पकड़ ली है। इस बीच, शहर की एक अदालत ने अनाज मंडी इलाके की संकरी गली में स्थित इस चार मंजिला इमारत के मालिक और प्रबंधक को सोमवार को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने उनसे हिरासत में पूछताछ करने की पुलिस की याचिका स्वीकार कर ली। 

इमारत में रविवार सुबह भीषण आग लग जाने के कारण 43 लोगों की मौत हो गई थी और 16 अन्य घायल हो गए थे। अदालत ने कहा कि घटना की विभीषिका को देखते हुए इसकी बहुआयामी जांच की जरूरत है और इसलिए आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की जरूरत है। पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 285 (आग के संदर्भ में लापरवाह रवैया अपनाने के लिए) के तहत मामला दर्ज किया था। यह मामला अपराध शाखा के पास भेज दिया गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस भीषण घटना को लेकर दिल्ली सरकार, शहर के पुलिस प्रमुख और उत्तरी एमसीडी से छह हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। 

आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त को नोटिस जारी किए हैं। दिल्ली सरकार ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया है और सात दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है। दिल्ली अग्निशमन सेवा के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह इसी इमारत में फिर से आग भड़क गई। इमारत के अंदर रखी कुछ वस्तुओं में आग लगी। हालांकि, 20 मिनटों के अंदर ही आग पर काबू पा लिया गया। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने घटना की जांच में सोमवार को थ्री डी लेजर स्कैन तकनीक का प्रयोग करते हुए साक्ष्य जुटाए। फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की एक टीम घटनास्थल पर पहुंची और चार मंजिला इमारत से नमूने एकत्र किए। इस इमारत में कई सारी निर्माण इकाइयां हैं और वहां गत्ते, प्लास्टिक सीटें और रैक्सिन जैसी कई चीजें रखी हुई थी। यह दूसरा मौका है, जब दिल्ली पुलिस जांच में थ्री डी लेजर स्कैन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। 

पुलिस ने फरवरी में करोल बाग के होटल अर्पित पैलेस में भीषण आग की जांच के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल किया था। यहां पर 17 लोगों की मौत हो गयी थी। अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर अफरातफरी का माहौल देखने को मिला। इस अग्निकांड में मारे गए लोगों के शवों का वहां पोस्टमार्टम किया गया है। वहां उनके परिवार के सदस्य अपने प्रियजनों के शवों को सौंपे जाने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन शवों को वापस घर वे कैसे ले जाएंगे इसे लेकर वे ऊहापोह की स्थिति का सामना कर रहे हैं। उनमें से अधिकतर लोगों ने उन्हें ट्रेन के विशेष डिब्बों से उनके पैतृक गांव भेजे जाने का विरोध किया। इस बीच, मृतकों के परिजनों के दबाव के आगे झुकते हुए, बिहार सरकार ने तय किया है कि राज्य के निवासियों के शव ट्रेन के बजाए सड़क मार्ग से उनके घर ले जाए जाएंगे। इससे पहले यह फैसला किया गया था कि ये शव स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के एसएलआर कोच में रखकर ले जाये जायेंगे। 

पीड़ितों के परिवारों ने इस तरह की व्यवस्था पर आपत्ति प्रकट की थी और शवों को सड़क मार्ग से ले जाने का विकल्प चुना। रविवार की आग में जान गंवाने वाले 43 लोगों में से अधिकतर उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासी मजदूर थे। आग लगने के वक्त सोये रहने के कारण वे इमारत में ही फंसे रह गए थे। बिहार भवन में संयुक्त श्रम आयुक्त कुमार दिग्विजय ने बताया, ‘‘परिवार शवों को ट्रेन से भेजने को लेकर सहज नहीं थे, इसलिए हमने एंबुलेंसों में शवों को भेजने का फैसला किया है। एक एंबुलेंस में दो शव होंगे। “शवों को ट्रेन से भेजने की सभी तैयारियां कर ली गईं थीं। ट्रेन में विशेष कोच भी लगाए गए थे लेकिन परिवार के सदस्यों (मृतकों के) ने शवों को ट्रेन से भेजे जाने पर आपत्ति जताई।” 

उन्होंने कहा, “जब भी पोस्टमार्टम पूरा हो जाएगा, हम शवों को घर भेजना शुरू कर देंगे। अब तक 36 शवों की पहचान की गई है जो बिहार के रहने वाले थे और हम उन्हें जल्द से जल्द राज्य वापस भेजने की कोशिश कर रहे हैं। यह प्रक्रिया धीमी है लेकिन हम पूरी कोशिश कर रहे हैं।” आग में अपने भाई शाकिर को खोने वाले बिहार के मधुबनी इलाके के जाकिर हुसैन ने कहा कि भले ही बिहार सरकार ने शवों को ट्रेन से घर भेजने की व्यवस्था की थी लेकिन प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। बेगूसराय के मोहम्मद शमशीर ने कहा कि शव को ट्रेन में ले जाना व्यावहारिक नहीं है। शमशीर के पड़ोसी नवीन कुमार (19) की इस आग में मौत हो गई थी। 

अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली में बिहार के आयुक्त शवों को घर भेजने में मदद के लिए केंद्रीय रेलवे मंत्री पीयूष गोयल के पास पहुंचे थे। गोयल के हस्तक्षेप के बाद, दिल्ली मंडल ने ट्रेन में अतिरिक्त कोच की व्यवस्था की थी। अग्निकांड का शिकार हुई इस इमारत का नगर निगम ने पिछले ही हफ्ते ‘‘सर्वेक्षण” किया था लेकिन ऊपर के तलों पर ताला लगा होने की वजह से पूरी इमारत का निरीक्षण नहीं हो पाया था। एक सूत्र ने कहा कि अधिकारी फिर से इमारत का दौरा करने वाले थे और तदनुसार ऊपर के तलों का निरीक्षण करके कारण बताओ नोटिस जारी करते। अधिकारियों द्वारा की गई प्रांरभिक जांच में सामने आया कि यह आग इमारत की दूसरी मंजिल पर शॉर्ट सर्किट होने की वजह से लगी। यह हादसा राष्ट्रीय राजधानी में 1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड के बाद आग लगने की सबसे वीभत्स घटना है।

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