नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक परिवार के 7 लोगों की हत्या करने के दोषी शबनम और उसके प्रेमी सलीम की फांसी की सजा के खिलाफ दायर रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बोबड़े ने कहा कि हमारी ज्जमेंट का सम्मान होना चाहिए। मौत की सज़ा के फ़ैसले को स्वीकार किया जाना चाहिए, जो कि आज कल नहीं हो रहा है।
चीफ जस्टिस ने कहा, “हर चीज़ के लिए लड़ाई नहीं की जानी चाहिए। दोषी को ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि मौत की सज़ा के फ़ैसले को वह जब चाहे चुनौती दे सकता है जैसा कि आज कल बहुत केसों में हो रहा है। अंतहीन मुक़दमेबाज़ी की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
अपनी रिव्यू पिटिशन में दोषियों ने अपनी ग़रीबी और अनपड़ होने को आधार बताया। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इस देश में बहुत लोग गरीब और अनपढ़ हैं लेकिन ये एक रिव्यू पिटिशन है, आप ये बताइए की ज्जमेंट में क्या कोई गलती है।
याचिकाकर्ता की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि अगर एक प्रतिशत भी चांस है कि फांसी की सज़ा टालने का तो कोर्ट को उसपर विचार करना चहिए, हम इस मामले की गंभीरता समझते है और वीभत्स तरीके से हत्या की गई है यह मानते है लेकिन कोर्ट को फांसी की सज़ा कम करने पर विचार करना चहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमे आप ऐसा पूर्व का कोई ऐसा फैसला दिखाइए जिसमें जेल के अच्छे आचरण के कारण फांसी की सज़ा बदल दिया गया हो।
ये मामला शबनम और सलीम की प्रेम कहानी का है। शबनम के परिवार को इन दोनों का ये रिश्ता मंज़ूर नहीं था। विरोध में शबनम ने मौका देखकर और सलीम के साथ प्लानिंग कर 7 लोगों की हत्याओं को अंजाम दे दिया।
पहले इन दोनों ने सबके खाने में कुछ मिलाया और उसके बाद एक धारदार कुल्हाड़ी से एक के बाद एक, पूरे परिवार की हत्या कर दी। जिस एक इंसान के साथ शबनम उस रात लगातार कॉल में थी वो दरअसल सलीम ही था। सलीम ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया था और वो कुल्हाड़ी, जिससे क़त्ल किया गया था, वो भी ठीक उसी जगह मिली जहां उसने बताई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों द्वारा दी गई उसकी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा। उसके बाद शबनम ने राष्ट्रपति से सज़ा माफ़ी की भी गुहार की लेकिन घटना की वीभत्सता को देखते हुए, वहां से भी न तो शबनम की सज़ा माफ़ हुई न कम हुई।
सलीम को भी वही सज़ा मिली जो शबनम को। उसकी भी माफ़ी याचना तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा अस्वीकार कर दी गई। उसकी भी रिव्यू पिटिशन पर आज सुनवाई हुई जिसे खारिज कर दिया है। शबनम फांसी की सज़ा पाने वाली आज़ाद भारत की पहली महिला होगी।