काकद्वीप (पश्चिम बंगाल): सुंदरबन के काकद्वीप के रहने वाले प्रणब बिस्वास खुश थे कि उनका एकमात्र मजदूर बेटा पिछले हफ्ते महाराष्ट्र से लौट आया था और उसने अपना खुद का मछली पकड़ने का व्यवसाय शुरू करने के लिए एक डोंगी खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन बुधवार को आए चक्रवात अम्फान 50 वर्षीय बिस्वास की योजना को उड़ा ले गया। चक्रवात के कारण बिस्वास के मवेशी और घर सब खत्म हो गए और वह अपनी जीवनभर की सारी बचत एक झटके में खो बैठे। छह लोगों के परिवार का भरण-पोषण करने वाले बिस्वास अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद अपने बेटे के साथ आजीविका की तलाश में वापस महाराष्ट्र जाने की योजना बना रहे हैं।
इस क्षेत्र में एक राहत शिविर के बाहर बैठे बिस्वास ने कहा, ‘‘2009 में आइला चक्रवात के बाद मैं राजमिस्त्री का काम करने के लिए नासिक गया था, लेकिन जब मेरी उम्र ज्यादा हो गई, तो मेरा बेटा मेरी जगह काम करने लगा और पिछले चार साल से वह वहां काम कर रहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 10,000 रुपये बचाए थे और अपने बेटे के साथ मछली पकड़ने का व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई थी। लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया, मेरा घर, मेरी बचत, मेरे मवेशी सब खत्म हो गए।’’
बिस्वास ने कहा, ‘‘मेरी दो बेटियां विवाह योग्य उम्र की हो गई हैं और मुझे पैसे की जरूरत है।’’ बिस्वास ने मजदूर भर्ती करने वाली उस एजेंसी से संपर्क कर लॉकडाउन खत्म होने के बाद उन दोनों के लिए नौकरी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है, जिसके लिए उनका बेटा काम करता था। सुंदरबन क्षेत्र के लिए काम करने वाले कई विशेषज्ञों का मानना है कि आजीविका खो जाने और घरों के बर्बाद हो जाने, समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण पारिस्थितिक रूप से गंभीर हो चुके इस क्षेत्र से आने वाले महीनों में बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन होने की आशंका है।
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन मामलों के मंत्री मंटूराम पाखिरा ने कहा कि इस क्षेत्र को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल सुंदरबन डेल्टा को चक्रवात अम्फान से भारी नुकसान हुआ है, चक्रवात ने पूरे क्षेत्र को तबाह कर दिया है। यादवपुर विश्वविद्यालय में समुद्र विज्ञान विभाग के निदेशक सुगाता हाजरा ने बताया, ‘‘बुनियादी ढांचे के बुरी तरह से प्रभावित होने से वहां के लोगों की आजीविका पर भारी असर पड़ेगा।’’ हाजरा ने कहा, ‘‘आने वाले महीनों में हम सभी सुंदरबन क्षेत्र से भारी पलायन देखेंगे। चक्रवात आइला के बाद जो कुछ भी बनाया गया था, वह सब चक्रवात अम्फान के कारण नष्ट हो गया।’’
पिछले कई वर्षों से सुंदरबन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और पलायन पर बड़े पैमाने पर काम करने वाले हाजरा ने कहा कि डेल्टा में समुद्र-स्तर में वृद्धि, जो वैश्विक समुद्र-स्तर की औसत वृद्धि से बहुत अधिक है, भी क्षेत्र से पलायान का एक बड़ा कारण है। प्रवासी श्रमिकों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘दिशा फाउंडेशन’ की निदेशक अंजलि बोरहेड के अनुसार, चक्रवात के कारण क्षेत्र से पलायन की एक नई लहर शुरू होगी। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी पर्यावरणीय आपदा आती है, तो यह आजीविका को बाधित कर देती है और फिर ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं, जिससे लोगों को आजीविका के लिए पलायन करना पड़ता है।’’ 2009 में चक्रवात आइला के बाद हजारों युवाओं और परिवारों के पुरुष सदस्यों को काम की तलाश में क्षेत्र से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।