नई दिल्ली। UAPA बिल के जरिए किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के तर्क पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब भी कोई आतंकी घटना होती है उस घटना को कोई आतंकी संस्था नहीं बल्कि उस संस्था से जुड़ा व्यक्ति अंजाम देता है और इसलिए व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करना जरूरी है। अमित शाह ने राज्यसभा में UAPA बिल पर चर्चा के दौरान यह बयान दिया।
अमित शाह ने कहा कि आतंक की गतिविधि में शामिल जब किसी संस्था के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो उस संस्था से जुड़े लोग उस संस्था को बंद करके कोई दूसरी संस्था शुरू कर देते हैं और आतंक की गतिविधियों को जारी रखते हैं ऐसे में संस्था के साथ आतंक में शामिल व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित करना जरूरी है।
राज्यसभा में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने को लेकर सवाल उठाया था। पी चिदंबरम ने कहा था ‘’सरकार किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर देगी क्योंकि वह उसे आतंकवादी मानती है, हो सकता है मेरा ही नाम हो, करिए, लेकिन ये कानून मौलिक अधिकार का हनन है। मजबूर मत करिए कि यहां एक किलोमीटर दूर एक बिल्डिंग (सुप्रीम कोर्ट) में जाकर इस कानून को खारिज कर दिया जाएगा, यह एक गलती है।’’
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी राज्यसभा में इस कानून को लेकर सवाल उठाए थे, दिग्विजय सिंह के सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि कोई गलती नहीं करेंगे को कुछ नहीं होगा।
चर्चा के दौरान पी चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से इस बिल के खिलाफ नहीं है बल्कि बिल के ज्यादातर प्रावधानों का समर्थन करते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी को बिल के 2 प्रावधानों से दिक्कत है। पी चिदंबरम ने कहा कि किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने की प्रक्रिया को अगर सरकार साफ करती है तो हम इसपर फिर से विचार कर सकते हैं, लेकिन अभी इसका विरोध कर रहे हैं।
इसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि सरकार विपक्ष की चिंता से सहमत है कि कानून में यह स्पष्टता होनी चाहिए, लेकिन अगर परिस्थिति भी काफी जटिल हो तो क्या किया जाए , जैसे कुछ आतंकवादी विदेश भाग गए हैं, उनको पूछताछ के बाद ही आतंकवादी घोषित कर पाना संभव नहीं होगा। अगर ऐसा करेंगे तो हाफिज सईद को आतंकवादी घोषित नहीं कर पाएंगे भले ही संयुक्त राष्ट्र कर दें, दाऊद को आतंकवादी घोषित नहीं कर सकेंगे, भले ही यूएन कर दे। आम तौर पर जबतक वह व्यक्ति उपलब्ध हो और उसकी सघन पूछताझ के बाद और सबूत जुटाने के बाद ही ही घोषित करेंगे, लेकिन अगर वह व्यक्ति सहयोग ही नहीं कर रहा है तो फिर हमारे पास कोई और रास्ता नहीं बनता है। मौजूदा सूबत और घटनाक्रम को देखते हुए फैसला करना पड़ेगा।