नयी दिल्ली: देश के कई बड़े राज्य इस वक्त भीषण बाढ़ की मार झेल रहे हैं। सैंकड़ों लोग 'बाढ़ की बलि' चढ़ चुके हैं। हजारों की संख्या में बेजुबान पशु तो मौत के मुंह में कब समां गए, कुछ पता ही नहीं चला। सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में बर्बादी की इस बाढ़ के पीछे ड्रैगन की साजिश है? क्या भारत में शहर-गांवों में आई ये बाढ़ मेड इन चाइना है? क्या चीन भारत से डोकलाम का बदला इस तरह ले रहा है? ये भी पढ़ें: ‘नेहरू नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे देश के पहले प्रधानमंत्री’
ये सवाल फिलहाल हवा में तैर रहे है। चीन की नीयत पर सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि चीन ने इस बार ऐसी हरकत ही कर डाली है। डोकलाम का बदला चीन ने मानवता की सभी हदें पार करके लिया है। चीन ने इस बार उसके यहां से प्रवाहित होकर भारत आने वाली नदियों की जलराशि के आंकड़े साझा नहीं किये हैं जिसकी वजह से भारत की कुछ नदियां उफान पर है। पूर्वोत्तर राज्यों में आई विनाशकारी बाढ़ के पीछे चीन की चाल को माना जा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि समझौता होने के बावजूद उसे चीन से जल संबंधी आंकड़े प्राप्त नहीं हुए हैं, लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि देश के कुछ हिस्सों में आई बाढ़ से इसको जोड़ना जल्दबाजी होगी। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच गतिरोध जारी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं की क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले महीने ब्रिक्स :ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका: शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
उन्होंने कहा कि उनके पास इस बारे में कोई सूचना नहीं है। डोकलाम में गतिरोध की वर्तमान स्थिति के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। हम चीन के साथ चर्चा जारी रखेंगे ताकि स्वीकार्य हल निकाला जा सके। सीमा पर शांति एवं स्थिरता बेहतर द्विपक्षीय संबंधों की सामान्य जरूरत होती है।
यह पूछे जाने पर कि डोकलाम गतिरोध कब तक सुलझाया जा सकता है, उन्होंने कहा कि वे कोई ज्योतिषी नहीं है और इसलिये कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं। चीन की ओर से जल संबंधी आंकड़े जारी किये जाने के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि इस वर्ष कोई जल संबंधी आंकड़ा चीन से प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि देश के कुछ हिस्सों में आई बाढ़ से इसको जोड़ना जल्दबाजी होगी। चीन की ओर से आंकड़ा साझाा नहीं किये जाने के पीछे कुछ तकनीकी कारण भी हो सकते हैं।
2006 में हुआ था समझौता
भारत और चीन के बीच 2006 में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों ने मिलकर एक एक्सपर्ट ग्रुप बनाया था जो इन नदियों में जलस्तर के बारे में जानकारी साझा करते थे। इस एक्सपर्ट ग्रुप की आखिरी बैठक पिछले साल अप्रैल में हुई थी। लेकिन इस साल चीन ने इन दोनों नदियों में पानी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।