अलवर: राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने आज कहा कि साक्ष्यों के अनुसार रामगढ़ में अकबर उर्फ रकबर खान की मौत पुलिस हिरासत में हुई है, और इसकी न्यायिक जांच करायी जायेगी। यहां घटना स्थल का जायजा लेने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कटारिया ने कहा कि घटना को पुलिस हिरासत की मौत मानते हुए, मामले की न्यायिक जांच की जायेगी। इसके लिये हमने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को जांच शुरू करने के लिये लिखा है।
उन्होंने कहा कि हिरासत में मौत के मामले में मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के लिये जिला सत्र न्यायाधीश के नेतृत्व में जिला स्तरीय विधिक समिति निर्णय लेती है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी पहलू खान की मारपीट में हुई मौत में दिये गये 1.25 लाख रूपये के मुआवजे की तर्ज पर अकबर खान के परिवार को भी राज्य सरकार की ओर 1.25 लाख रूपये का मुआवजा देने के आदेश दे दिये गए हैं। मंत्री ने कहा कि इसके बाद भी अगर जरूरत होगी तो जिला स्तरीय विधिक समिति की अनुशंसा के आधार पर मुआवजा दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में मानवाधिकार आयोग की ओर से भी परिजनों को राहत प्रदान की जाती है, आयोग अपनी अनुशंसा राज्य सरकार को भेजती है। उन्होंने कहा कि मैं आज मृतक के परिजनों से मिला, परिजनों ने मामले की जांच के प्रति संतोष जताया है। मैंने उन्हें किसी भी परेशानी के समाधान के लिये मेरे कार्यालय में आने के लिए कहा है। कटारिया ने विश्वास दिलाया कि कानून हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जायेगा।
उन्होंने कहा कि घटना में निर्णय लेने में रामगढ पुलिस से गलती हुई है। पुलिस को खान को उपचार के लिये पहले अस्पताल ले जाना चाहिए था, उसके बाद गायों को गौशला ले जाना चाहिए। यदि खान को सही समय पर अस्पताल ले जाया जाता तो शायद उसे बचाया जा सकता था। कटारिया ने आज मुख्य सचिव डी बी गुप्ता, पुलिस महानिदेशक ओ पी गलहोत्रा के साथ अलवर के रामगढ़ में घटित हुई घटना में पुलिस की खामियों का जायजा लिया। रामगढ़ में अकबर उर्फ रकबर (28) के साथ गत शुक्रवार—शनिवार की रात को कुछ लोगों ने गो तस्करी के संदेह में मारपीट की थी।
पुलिस ने अकबर खान पर हमले के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। कल सोशल मीडिया में वायरल हुए एक वीडियो में रामगढ थाने के सहायक पुलिस उपनिरीक्षक को अकबर खान को अस्पताल ले जाने में देरी की गलती स्वीकारते दिखाया गया था। घटना के बाद आमजन और विपक्षी पार्टियों के बढते दबाव के चलते राजस्थान पुलिस ने घटना की जांच के लिये चार सदस्यीय उच्च स्तरीय दल का घटना किया था,दल ने थाना प्रभारी को निलंबित कर तीन पुलिस कर्मियों को लाईन हाजिर कर दिया था।
कटारिया ने इससे पूर्व जयपुर में कहा था कि घटना में निर्णय लेने में पुलिस की ओर कुछ लापरवाही रही है, पुलिस ने पहले गायों को गौशाला पहुंचाया और उसे बाद पीडित को अस्पताल पहुंचाया। पुलिस को पहले पीडित को अस्पताल ले जाना चाहिए था।