देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले साल की शुरूआत में होने वाले हरिद्वार कुंभ से संबंधित 98 प्रतिशत कार्य इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएंगे। हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र में चल रहे विभिन्न कार्यों के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने अधिकारियों को सभी कार्य जनवरी तक पूरा करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि आगामी कुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर 98 प्रतिशत कार्य दिसम्बर के अन्त तक पूर्ण हो जायेंगे।
उन्होंने कहा कि पुलों, बाईपास को जोड़ने एवं सड़क निर्माण के कार्यों से लोगों को काफी फायदा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार में सालभर में अनेक स्नान पर्व एवं कांवड़ मेले का आयोजन होता है और इन पर्वों में भी श्रद्धालुओं को आवागमन में काफी सुविधा होगी। रावत ने कहा कि हरिद्वार देश-विदेश के पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केन्द्र है और हरिद्वार में श्रद्धालुओं को आवागमन में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कुंभ मेला क्षेत्र में सौन्दर्यीकरण के कार्यों पर भी विशेष ध्यान देने के अधिकारियों को निर्देश दिए। कुंभ कार्यों का निरीक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री ने हर की पौड़ी पर पर पूजा-अर्चना भी की।
हरिद्वार में गंगा का 'एस्केप चैनल' दर्जा समाप्त
इससे पहले बुधवार को उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा का 'एस्केप चैनल' का दर्जा हटा दिया था। सरकारी सूत्रों ने यहां बताया था कि इस संबंध में जारी आदेश में वर्ष 2016 में निर्गत शासनादेश के उस बिंदु को हटा दिया गया है जिसमें गंगा को एस्केप चैनल का दर्जा दिया गया था। यह आदेश मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उस घोषणा के क्रम में आया जो उन्होंने 22 नवंबर को अखाड़ा परिषद और गंगा सभा के पदाधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठक के दौरान की थी।मुख्यमंत्री रावत ने कहा था कि हर की पौड़ी को एस्केप चैनल से मुक्त रखा जायेगा तथा हर की पौड़ी का अविरल गंगा का दर्जा बरकार रखा जायेगा। दिसंबर, 2016 में तत्कालीन हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा गंगा को एस्केप चैनल घोषित कर दिया गया था जिसका गंगा सभा और साधु-संत लंबे समय से विरोध कर रहे थे और उसका अविरल धारा का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे थे।
क्या है एस्केप चैनल?
एस्केप चैनल नदी से निकलने वाली उस नहर को कहते हैं जिसका उपयोग नदी में आए अतिरिक्त पानी की निकासी के लिए किया जाता है। गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि गंगा नदी आस्था का प्रतीक है और उसकी प्रतिष्ठा को कम करने का प्रयास स्वीकार नहीं किया जा सकता था। उन्होंने गंगा की प्रतिष्ठा बहाल करने के लिए मुख्यमंत्री रावत का आभार भी व्यक्त किया । स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी पिछले दिनों अपनी सरकार की इस गलती को स्वीकार किया था और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से इसे सुधारने को कहा था ।