नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ वैक्सीनेशन की प्रक्रिया जारी है। मौजूदा वक्त में तीन वैक्सीन- कोविशील्ड (Covishield), कोवैक्सिन (Covaxin) और रूस से आई स्पुतनिक-V (Sputnik-V) को आपातकालीन इस्तेमाल (Emergency Use) को मंजूरी है। आने वाले समय में सरकार विदेश की और भी कई वैक्सीनों को भारत में इस्तेमाल की अनुमति दे सकती है।
भारत सरकार लोगों को ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेट करके कोरोना को हराने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन, इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ऐसा पोस्ट शेयर किया जा रहा है, जो लोगों को डराने का काम कर रहा है। उस सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि जो लोग कोरोना वैक्सीन ले रहे हैं, वह अगले दो साल में मर जाएंगे। यह दावा बहुत बड़ा है। लेकिन, क्या यह सच है?
इसी सवाल की खोज के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक विंग ने इस दावे की पड़ताल की। गौरतलब है कि PIB की फैक्ट चेक विंग सरकार या उसकी योजनाओं से जुड़ी संदेहपूर्ण खबरों का फैक्ट चेक करती है। PIB की यह विंग सरकार, सरकारी योजनाओं, राष्ट्र और लोगों के हितों से जुड़े तथ्यों, जानकारियों, दावों और अफवाहों की पड़ताल करती है।
PIB Fact Check ने वैक्सीन लेने वाले लोगों की दो साल में मौत हो जाने के दावे की भी जांच की। जांच में यह दावा फेक पाया गया। इस दावे का कोई आधार नहीं है। वैक्सीन से लोगों की जान को खतरा नहीं है। सोमवार को ट्वीट कर PIB Fact Check ने वायरल दावे की पोल खोली और ऐसे किसी भी दावे को फोरवर्ड नहीं करने की अपील की।
PIB Fact Check ने ट्वीट में लिखा, "COVID-19 के टीके पर एक फ्रांसीसी नोबेल पुरस्कार विजेता के कथित बयान वाली एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। तस्वीर में किया गया दावा फेक है। कोरोना वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। इस तस्वीर को फोरवर्ड न करें।"
गौरतलब है कि अगर आपको भी केंद्र सरकार की नीति/योजना से जुड़ी किसी खबर या दावे में कोई संदेह है तो आप भी PIB की फैक्ट चेक विंग से संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए आप उन्हें @PBIFactCheck पर ट्वीट, 8799711259 पर व्हाट्सएप और pibfactcheck@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।