Sunday, December 22, 2024
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हरिद्वार के सारे कस्बे हुए कसाईखाना मुक्त, कुंभ मेले से पहले राज्य सरकार का बड़ा फैसला

उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को हरिद्वार जिले के अंतर्गत आने वाले सभी शहरी स्थानीय निकायों को "बूचड़खाना मुक्त" घोषित कर दिया, साथ ही बूचड़खानों को संचालित करने के लिए जारी की गई मंजूरी भी रद्द कर दिया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : March 04, 2021 21:36 IST
हरिद्वार के सारे कस्बे हए कसाईखाना मुक्त, कुंभ मेले से पहले बड़ी सफलता
Image Source : AP हरिद्वार के सारे कस्बे हए कसाईखाना मुक्त, कुंभ मेले से पहले बड़ी सफलता

हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को हरिद्वार जिले के अंतर्गत आने वाले सभी शहरी स्थानीय निकायों को "बूचड़खाना मुक्त" घोषित कर दिया, साथ ही बूचड़खानों को संचालित करने के लिए जारी की गई मंजूरी भी रद्द कर दिया है। हरिद्वार जिले के अंतर्गत दो नगर निगम, दो नगर पालिका परिषद और पांच नगर पंचायतें हैं। शहरी विकास विभाग द्वारा कसाईखाने संबंध में यह अधिसूचना कुंभ मेले से पहले जारी की गई है। इससे पहले क्षेत्र के भाजपा विधायकों ने दो दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक पत्र दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि "धार्मिक शहर हरिद्वार" में बूचड़खानों को अनुमति नहीं दी जाए।

हरिद्वार के लक्सर से भाजपा विधायक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पार्टी विधायकों को मांगलौर नगर पालिका परिषद में एक बूचड़खाने को लेकर आपत्ति थी। “पिछली सरकार (कांग्रेस) द्वारा उस बूचड़खाने को स्थापित करने का लाइसेंस जारी किया गया था। यह रोजाना लगभग 550 जानवरों को मारने की क्षमता रखता है और जल्द ही शुरू होने वाला था। लेकिन अब इसकी मंजूरी रद्द कर दी गई है। हरिद्वार के किसी अन्य क्षेत्र में कोई बूचड़खाना नहीं है।” संस्कृति और पर्यटन कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने इसपर कहा कि उन्होंने बूचड़खाने के संचालन को रोकने के लिए सीएम से अनुरोध किया था।

सतपाल महाराज की अगुवाई में हरिद्वार के क्षेत्रीय विधायकों ने मुख्यमंत्री रावत को एक मार्च को एक पत्र सौंपा था जिसमें उन्होंने हरिद्वार जिले में बूचड़खानों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की थी। महाराज का कहना था कि हरिद्वार में बूचड़खाने होने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार देश की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक राजधानी है और यहां बूचड़खानों का कोई औचित्य नहीं है।

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