जम्मू. जम्मू-कश्मीर में एकबार फिर 28 नवंबर को उस समय इतिहास लिखा जाएगा, जब डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट काउंसिल के लिए पहला वोट डाला जाएगा। Reorganisation Bill पास होने के बाद, स्पेशल स्टेटस वापस लेने के बाद और राज्य के यूटी में बदलने के बाद ये जम्मू-कश्मीर का पहला चुनाव होगा। डीडीसी चुनाव में किसी भी राजनीतिक पैंतरेबाजी की संभावनाओं को कम करने के लिए जम्मू-कश्मीर इलेक्शन कमिश्न ने चुनाव को पार्टी सिंबल करवाना का फैसला किया है।
J&K में क्या है डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट काउंसिल?
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने इस साल अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर पंचायती राज एक्ट, 1989 अपनाया है। अब जम्मू-कश्मीर के हर जिले में एक डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट काउंसिल होगी, जिसके पास नगरपालिका क्षेत्रों को छोड़कर पूरे जिले पर अधिकार क्षेत्र होगा। हर DDC में 14 सदस्य होंगे। जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों में 280 प्रतिनिधि चुनकर आएंगे। प्रत्येक DDC में सीधे निर्वाचित सदस्य, सभी खंड विकास परिषदों के अध्यक्ष और जिले से विधान सभा के सदस्य शामिल होंगे।इससे पहले जम्मू-कश्मीर राज्य में डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट बोर्ड होते थे। जिसमें एक कैबिनेट मंत्री या एक राज्य मंत्री DDB की अध्यक्षता करता था और MLA, MLC व सांसद इसके सदस्यों में शामिल होते थे। डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट बोर्ड में विकास कार्यों की प्लानिंग और उन्हें करवाना डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट कमिश्नर द्वारा किया जाता था।
कब हैं डीडीसी चुनाव?
पहली बार जम्मू-कश्मीर में होने जा रहे डीडीसी चुनाव आठ चरणों में होंगे। इनके साथ 13,241 पंचों और सरपंचों की खाली सीटों और नगर निगमों में खाली 228 सीटों पर उपचुनाव करवाए जाएंगे। डीडीसीए चुनाव के लिए आखिरी चरण का मतदान 22 दिसंबर को किया जाएगा।
क्या है गुपकार गठबंधन की राजनीति?
नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी सहित गुपकार गठबंधन में शामिल 7 राजनीतिक दलों ने इस चुनाव को मिलकर लड़ रहे हैं। हालांकि शुरू में वो चुनाव से दूर रहना चाहते थे लेकिन सभी दलों की जल्द ही समझा आ गया कि चुनाव से दूर रहने पर वो शासन और सत्ता की संरचना से बाहर हो जाएंगे, जिससे उन्हें विधानसभा चुनाव में भी परेशानी होगी।
क्या है डीडीसी का रोल?
जम्मू-कश्मीर के 73 वें संवैधानिक संशोधन के लागू होने के साथ ही डीडीसी का गठन हो गया। जिससे सरकार ने पंचायती राज संस्थानों- पंचायत, खंड विकास परिषद और डीडीसी के सभी तीन स्तरों की स्थापना के लिए मार्ग प्रशस्त किया। डीडीसी अपने अधिकार के तहत क्षेत्र के विकास कार्यक्रमों के निर्माण के लिए जिम्मेदार होगा। पांच स्थायी समितियां, वित्त, विकास, सार्वजनिक कार्य, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए एक-एक, और कल्याण अब हर डीडीसी में गठित की जाएंगी।
सुरक्षा को लेकर क्या है परेशानी?
कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों में कई बार चुनाव करवाना काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ बढ़ते हमलों के बीच चुनावों करवाना एक बड़ी चुनौती है। पिछले कुछ दिनों में आतंकियों ने विशेष रूप से भाजपा के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया है। इस वर्ष अब तक कश्मीर में कम से कम 17 राजनीतिक कार्यकर्ता मारे गए हैं, जिनमें से 13 भाजपा के थे।