नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली के दयाल सिंह (ईवनिंग) कॉलेज का नाम बदलकर ‘वंदे मातरम महाविद्यालय’ करने के फैसले का विरोध किया है। सिरसा ने कहा कि यह एस दयाल सिंह मजीठिया के प्रयासों का नतीजा है कि इस कॉलेज को 1960 में लीज पर जमीन मिली। (पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा जाएगा)
उन्होंने एक बयान में कहा कि मजीठिया ने देश के एक प्रमुख समाजसेवी के रूप में बड़ा योगदान दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह कॉलेज दयाल सिंह ट्रस्ट का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नाम बदलने का मतलब उनकी विरासत को नकारना है। इसे कोई बर्दाश्त नहीं करेगा।’’
कॉलेज का नाम बदलने के लिए एक अधिसूचना 17 नवंबर को जारी की गई थी और इसे मंजूरी के लिए कुलपति के पास भेज दिया गया है। कांग्रेस पार्टी की छात्र शाखा एनएसयूआई ने शासी निकाय के इस फैसले पर सवाल उठाया और शासी निकाय पर पंजाब के पहले स्वतंत्रता सेनानी सरदार दयाल सिंह मजीठिया की 'विरासत को अपमानित' करने का आरोप लगाया।
सिन्हा ने बताया, "दयाल सिंह कॉलेज में दो कॉलेज थे, एक दिवाकालीन और दूसरा सांध्य। सांध्य कॉलेज के छात्रों को दोयम दर्जे का समझा जाता है। वे नौकरियों की तलाश में भी कठिनाइयों का सामना करते हैं। यही कारण है कि शासी निकाय ने इसे एक दिवाकालीन कॉलेज में बदल दिया।"