मुंबई: महाराष्ट्र के वित्त मंत्री अजित पवार ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों समेत निर्वाचित प्रतिनिधियों को मार्च महीने का पूरा वेतन नहीं दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार से बकाया राशि न मिलने के कारण यह निर्णय लेना पड़ा। इससे पहले पवार ने कहा था कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले भार को देखते हुए वेतन में साठ प्रतिशत की कटौती की जाएगी।
बाद में जारी किए गए सरकारी आदेश में कहा गया कि बकाया वेतन बाद में दिया जाएगा। पवार ने कहा था कि मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों समेत निर्वाचित प्रतिनिधियों के मार्च महीने के वेतन में से साठ प्रतिशत कटौती की जाएगी। उप मुख्यमंत्री पवार ने कहा, “कोरोना वायरस के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और लॉकडाउन के कारण संसाधनों में कटौती की गई है।”
वित्त विभाग द्वारा जारी एक सरकारी आदेश में कहा गया कि मार्च का वेतन दो किस्त में दिया जाएगा। सरकारी आदेश में कहा गया कि कोरोना वायरस फैलने के कारण सभी निजी प्रतिष्ठान और औद्योगिक इकाईयां बंद हैं जिसके कारण राज्य के राजस्व में कमी आई है। सरकारी आदेश में कहा गया कि वेतन में कटौती अर्ध सरकारी संगठनों और विश्वविद्यालयों समेत अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों पर भी लागू होगी।
पवार ने कहा कि वित्त वर्ष के अंतिम दिन मंगलवार तक केंद्र सरकार की ओर से 16,654 करोड़ की बकाया राशि प्राप्त नहीं हुई है इसलिए दो किस्त में वेतन देने का निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने कहा, “यदि बकाया राशि मिल जाती तो एक किस्त में ही वेतन दे दिया जाता।”