नई दिल्ली। दिवाली के बाद सोमवार सुबह धुंध छा जाने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में पहुंच गई। वैसे तो हर साल दिवाली की अगली सुबह दिल्ली में प्रदूषण का स्तर अति गंभीर श्रेणी में पहुंच जाता था, लेकिन इस बार हवा की गुणवत्ता पिछले तीन साल से बेहतर रही।
प्रदूषण कम करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा पटाखे फोड़ने के लिए तय की गई दो घंटे की समय-सीमा के बाहर भी महानगर के कई हिस्सों में लोग पटाखे जलाते रहे। शीर्ष अदालत ने केवल हरित पटाखे जलाने का आदेश दिया था, इसके बावजूद लोगों ने पुराने पारंपरिक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे जलाए।
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्त्व वाली दिल्ली सरकार लोगों को पटाखे जलाने से रोकने के प्रयास में एक मेगा लेजर शो का आयोजन कर रही है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी सेवा, ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली’ (सफर) के मुताबिक दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सोमवार सुबह 11.30 बजे 463 पर पहुंच गया।
पूसा, लोधी रोड, हवाई अड्डा टर्मिनल टी3, नोएडा, मथुरा रोड, आयानगर, आईआईटी दिल्ली, धीरपुर, और चांदनी चौक में एक्यूआई क्रमशः 480, 436, 460, 668, 413, 477, 483, 553 और 466 दर्ज किया गया। हालांकि, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आँकड़े के अनुसार, सोमवार सुबह 11.30 बजे हवा का गुणवत्ता सूचकांक 348 रहा। यह रविवार को शाम चार बजे 337 था।
सफर का कहना है कि हवा की गति में वृद्धि प्रदूषक तत्त्वों को छितराने में मदद करेगी और प्रदूषण के स्तर में शाम तक कमी आने की उम्मीद है। सफर ने पहले अनुमान जताया था कि पराली जलाये जाने की घटना में इजाफे और प्रतिकूल मौसम के साथ ही दिवाली की रात पटाखे फोड़े जाने के कारण देर रात एक बजे से लेकर सोमवार सुबह छह बजे के बीच शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में पहुंच जाएगा।
हालांकि, शहर का एक्यूआई रात के 11 बजे 327 था जो साढ़े तीन बजे तक गिरकर 323 पर आ गया, जबकि इस समय इसके ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका थी। लेकिन धुंध के कारण सुबह 8:30 बजे एक्यूआई 340 पर पहुंच गया। सफर के मुताबिक, 2.5 या 2.5 माइक्रोन से कम व्यास वाले अत्यंत सूक्ष्म अभिकण ‘पार्टिकुलेट मैटर’ पीएम 2.
5 का स्तर दिल्ली विश्वविद्यालय के पास 735 पर पहुंच गया, जो कि बहुत ही खतरनाक है।उल्लेखनीय है कि, 0-50 के बीच एक्यूआई को ‘‘अच्छा’’ माना जाता है, जबकि 51-100 ‘‘संतोषजनक’’, 101-200 ‘‘मध्यम’’, 201-300 ‘‘खराब’’, 301-400 ‘‘बहुत खराब’’ और 401-500 ‘‘गंभीर’’ श्रेणी का माना जाता है। एक्यूआई अगर 500 से ऊपर पहुंच जाता है, तो उसे ‘‘गंभीर व आपातकालीन’’ श्रेणी का माना जाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के नजदीकी शहर गाजियाबाद (378), ग्रेटर नोएडा (364), गुड़गांव (359) और नोएडा (375) में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। 10 या 10 माइक्रोन से कम व्यास वाले अत्यंत सूक्ष्म अभिकण ‘पार्टिकुलेट मैटर’ पीएम 10 का स्तर रविवार को आनंद विहार में 515 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था। वजीरपुर और बवाना में, पीएम 2.5 का स्तर 400 के स्तर को पार कर गया था।
पिछले साल दिवाली के बाद, दिल्ली में एक्यूआई 600 को पार कर गया था, जो कि सुरक्षित स्तर का 12 गुना था। 2017 में दिवाली के बाद एक्यूआई 367 और 2016 में 425 पर पहुंच गया था। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे की समय-सीमा तय कर रखा है, जिसका राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में उल्लंघन हुआ। हर साल दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक हो जाने के मद्देनजर 2018 में उच्चतम न्यायालय ने प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया और केवल हरित पटाखे जलाने की मंजूरी दी थी।
दिल्ली सरकार 26 अक्टूबर से चार दिवसीय लेजर शो का आयोजन कर रही है ताकि लोगों को इस दिवाली पटाखे न फोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य ‘‘सामूहिक एवं प्रदूषण मुक्त दिवाली’’ को प्रोत्साहित करना है।