नई दिल्ली: दिल्ली में हवा के रुख में बदलाव के कारण वायु गुणवत्ता लगातार दूसरे दिन भी खराब बनी रही। अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि हवा अब पराली जलाए जाने वाले इलाकों की दिशा से बह रही है। शनिवार शाम में चार बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 211 दर्ज किया गया जो खराब श्रेणी में है। शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 259 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक फरीदाबाद और नोएडा में वायु गुणवत्ता क्रमश: 247 और 232 दर्ज की गई जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है।
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित निकाय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले यह पूर्वानुमान था कि एक धूल भरी आंधी राष्ट्रीय राजधानी की तरफ आएगी जिससे हवा की गुणवत्ता और खराब होगी लेकिन फिलहाल किसी बड़े तूफान के कोई संकेत नहीं हैं। अधिकारी स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं। मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली और मुंबई में प्रदुषण के कारण 2015 में 80,665 मौते हुई थी।
सीपीसीबी के एक अधिकारी ने कहा कि हवा की गुणवत्ता में यह गिरावट हवा की दिशा में बदलाव की वजह से है, जो अब हरियाणा और पंजाब की तरफ से बह रही है जहां पराली जलाई जा रही है। केंद्र द्वारा संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (एसएएफएआर) के परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा कि यह मानसून के जाने का वक्त है और अरब सागर में कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है। बड़े पैमाने पर ऐसी प्रक्रिया हवा की गति को शांत करती है जो इस मौसम के लिये सामान्य है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 0-50 को अच्छा माना जाता है। वहीं 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को औसत और 201-300 को खराब तथा 301-400 को बेहद ही खराब माना जाता है।